रांची : राज्य में सर्पदंश के बढ़ते मामलों (Increasing Cases of Snakebite) पर स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह (Arun Kumar Singh) ने एडवाइजरी (Advisory) जारी की है। बताया गया है कि राज्य के विभिन्न जिलों में Anti Snake Venom की 9532 डोज उपलब्ध है।
स्वास्थ्य विभाग ने RIMS निदेशक समेत सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य और सभी जिलों के सिविल सर्जन को पत्राचार करते हुए सर्पदंश से होने वाली आकस्मिक घटनाओं के बचाव, रोकथाम और उपचार से संबंधित मार्गदर्शिका का अनुपालन करने का निर्देश दिया है।
विभाग की Advisory में कहा गया है कि सर्पदंश से लोगों की मौत का मुख्य कारण इलाज में देरी और समुदाय में जागरुकता की कमी है। राज्य में पाए जाने वाले सांप की 250 से अधिक प्रजाति में केवल 25 प्रतिशत ही जहरीली है।
रसेल वाइपर (Russell Viper) सबसे ज्यादा खेतों में मिलता है, जिसके काटने पर खून पतला हो जाता है और ब्लीडिंग शुरू हो जाती है जबकि करैत काले रंग का होता है और सफेद रंग की रिंग जैसी बैंड बने होते हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने बारिश के मौसम में सर्पदंश के मामले के बढ़ने की आशंका को देखते हुए अपने-अपने संस्थानों में एंटी स्नेक वेनम (Anti Snake Venom) की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
साथ ही कहा है कि सर्पदंश से सावधानी और इलाज के प्रति लोगों को जागरूक कराने पर ध्यान दें, ताकि उन्हें नजदीकी अस्पताल में ससमय इलाज मिल सके और उनकी जान बचाई जा सके।
यह भी निर्देश
-CHC व PHC में चिकित्सा पदाधिकारी व स्वास्थ्यकर्मियों का नेशनल स्नेक बाइट मैनेजमेंट प्रोटोकॉल (National Snake Bite Management Protocol) संबंधित प्रशिक्षण कराना सुनिश्चित किया जाए।
-सभी सर्पदंश से पीड़त व्यक्तियों की रिपोर्ट IDSP IHIP Portal पर अनिवार्य रूप से कराना सुनिश्चित करें।
-सर्पदंश होने पर प्राथमिक उपचार के लिए सामुदायिक स्तर पर जागरूकता के लिए प्रचार-प्रसार करना सुनिश्चित करें।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
-जिस स्थान पर सांप ने काटा है, वहां किसी चीज जैसे रस्सी या रूमाल से हल्का बांधें, जोर से न बांधे।
-किसी भी स्थिति में जहां स्नेक वाइट है, वहां नहीं काटें, काटने से जहर फैलता है।
-सांप के बाइट की जगह काटना, चूसना, दबाना बिल्कुल न करें।
-जहां सांप ने काटा है, वहां तेज धारा से पानी मारें, ताकि विष निकल जाए। पीड़ित को तसल्ली देकर शांत रखने का प्रयास करें, जिससे बीपी नियंत्रित रहे। जितना बीपी बढ़ेगा, शरीर में जहर उतनी ही तेजी से फैलेगा।
-कोशिश करनी चाहिए कि सर्पदंश से पीड़ित को एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन (Anti Snake Venom Injection) जल्द से जल्द लग जाए। मरीज को डरने नहीं दें। उसे आश्वस्त करें कि दवा देने से वह ठीक हो जाएगा।