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झारखंड कांग्रेस को राजेश ठाकुर स्वीकार नहीं! आदिवासी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की उठी मांग

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रांची: झारखंड कांग्रेस को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में राजेश ठाकुर (Rajesh Thakur) स्वीकार नहीं है। कांग्रेस अनुशासन समिति की अनुशंसा के बाद पार्टी के पांच नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

Congress के पांच नेताओं आलोक दूबे, डॉ। राजेश गुप्ता, साधु शरण गोप, सुनील सिंह और लाल किशोरनाथ शाहदेव के खिलाफ अनुशासन समिति ने 6 साल के लिए निष्कासित करने की अनुशंसा की है।

झारखंड कांग्रेस को राजेश ठाकुर स्वीकार नहीं! आदिवासी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की उठी मांग - Jharkhand Congress does not accept Rajesh Thakur! Demand raised to make tribal state president

वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष हमें स्वीकार नहीं- लाल किशोरनाथ शाहदेव

लाल किशोरनाथ शाहदेव (Lal Kishorenath Shahdev) ने कहा कि पिछले दिनों राज्य के 24 जिलों में कांग्रेस जिलाध्यक्षों की घोषणा की गई थी। जिसके बाद सभी जिलों के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ताओं ने नाराजगी थी और इसका विरोध भी किया था।

कांग्रेस का जो विचारधारा है जिसमें सभी वर्गों के लेकर चलने वो इस सूची में नहीं दिखा। जिसके बाद तीन बार सूची में बदलाव किया। जो कांग्रेस के इतिहास में कभी नहीं हुआ।

हमारी मांग है कि कांग्रेस प्रदेश (Congress State) अध्यक्ष के रूप में किसी आदिवासी को मौका दिया जाये। उन्होंने 2019 चुनाव का भी उदाहरण दिया। राजेश ठाकुर पर उन्होंने अक्षमता का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष हमें स्वीकार नहीं है।

झारखंड में हमें आदिवासी नेतृत्व ही स्वीकार

उन्होंने कहा कि हमलोग के ऊपर करवाई की अनुसंशा की गई है वो हमलोग राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास जायेंगे और उनको सारी बातों से अवगत कराएंगे।

झारखंड में आदिवासी नेतृत्व ही हमें स्वीकार है। इस राज्य के बारे में राष्ट्रीय अध्यक्ष को बताई जाएगी और आदिवासी अध्यक्ष की वजह से कांग्रेस ज्यादा सीट ला पाई थी तो हमलोग इस बात को राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President) के सामने रखेंगे।

राजेश ठाकुर के पास संगठन चलाने का अनुभव नहीं- डॉ राजेश गुप्ता

कांग्रेस नेता डॉ। राजेश गुप्ता (Rajesh Gupta) ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब हमलोगों ने उनके खिलाफ आवाज उठाई तो उन्होंने अनुशासन समिति से हमलोगों की शिकायत की।

उनके पास अनुभव की कमी है। संगठन चलाने की अनुभव भी नहीं है। हमलोग प्योर कांग्रेसी हैं। लंबे समय से कांग्रेस के साथ हैं।

कोरोना काल में जिसने फिल्ड में जा कर काम किया उसको सम्मानित नहीं किया, जो घर में बैठे रहे उसी को सम्मानित किया गया। हमलोग राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे से मिलेंगे।

जिला कमिटी का चयन और उसमें एक भी मुस्लिम भाई नहीं थे इसलिए हमलोग आवाज उठा रहे थे। कांग्रेस का कोर वोट को मजबूत करना है, लेकिन यहां उल्टा हो रहा है। अगर कांग्रेस को बढ़ाना है तो राजेश ठाकुर को हटाना होगा, तब ही कांग्रेस आगे बढ़ सकती है।

राजेश ठाकुर इस्तीफा देकर किसी आदिवासी को सौंपे नेतृत्व- साधु शरण गोप

साधु शरण गोप ने कहा राजेश ठाकुर के पास किसी प्रकार की अनुभव नहीं है। अगर हमलोगों ने बोला है तो उसे आलोचक के रूप से लेना चाहिए। अगर हम सक्षम प्रदेश अध्यक्ष की मांग करते हैं तो वो गलत नहीं है।

क्योंकि जिस तरीके से 24 जिलों के जिलाध्यक्ष की नियुक्ति हुई उसी पर कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी।

इन जिलाध्यक्षों में एक भी यादव, तेली को शामिल नहीं किया गया। उनको कांग्रेस के प्रति थोड़ी सी भी इज्जत है तो उनको इस्तीफा देकर किसी आदिवासी को नेतृत्व सौंप देना चाहिए।

राजेश ठाकुर के नेतृत्व में लोकसभा और विधानसभा चुनाव कांग्रेस नहीं जीत सकती

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलोक दुबे ने कहा कि हमारे रक्त में कांग्रेस पार्टी दौड़ रही है। 32 वर्षों में कई ऐसे मौके आये जब पुलिस रात में भी आ जाया करती थी।

अगर कांग्रेस अध्यक्ष को लगता है कि हमें कांग्रेस से निकलने में ठीक है तो हमलोग तैयार हैं। हमारे अनुशासन समिति ने कहा कि इनके जवाब से संतुष्ट नहीं है।

मीडिया तक बात पहुंचाने से पहले हमसे बात करनी थी, हमारी छवि धूमिल की जा रही है। 24 जिलों में पिछले 4 दिसंबर से अपमान, छीना झपटी लड़ाई झगड़ा हो रहा है।

राजेश ठाकुर का चेहरा सामने रख के लोकसभा चुनाव और झारखंड विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकते हैं। आरपीएन सिंह के साथ अभी भी उनके संबध हैं।

झूठ बोल रही है अनुशासन समिति

उन्होंने कहा कि अनुशासन समिति झूठ बोल रही है। हम लोगों ने स्पष्टीकरण दिया था। समय की मांग हमलोग ने किया था और अनुशासन समिति Media  के समक्ष कह रही है कि हम लोगों ने कुछ नहीं बोला था।

पहले ऐसे प्रदेश अध्यक्ष (State President) हैं जिसका हम लोग विरोध कर रहे हैं। जो आदमी कभी संगठन नहीं चलाया है और अचानक संगठन को चलाने की जिम्मेदारी मिल जाए तो वो कैसे चले जायेंगे। उनके कार्य को लेकर हमेशा से सवाल खड़े हो रहे है।

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