रांची: झारखंड में इस बार बारिश (Rain) की कमी के कारण सूखे (Drought) जैसे हालात हो गए हैं। राज्य के दो जिले पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम को छोड़कर किसी भी जिले में सामान्य बारिश (Rain) नहीं हुई है।
इसके कारण खरीफ फसलों की खेती (Farming) कर इसका असर पड़ा है। खासकर धान की खेती पर खासा असर हुआ है। इसके कारण किसानों (Farmers) को नुकसान हुआ है।
इसको देखते हुए राज्य सरकार ने झारखंड राज्य फसल राहत योजना (JSCRS) की शुरुआत की है। इसके तहत किसानों को हुए फसल नुकसान का मुआवजा (Compensation) दिया जायेगा।
झारखंड फसल राहत योजना का उद्देश्य वित्तीय सहायता देना
झारखंड फसल राहत योजना (Jharkhand Crop Relief Scheme) के तहत राज्य के किसानों को प्राकृतिक आपदा (Natural Calamity) से हुए फसल नुकसान के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है।
यह किसानों के फसल नुकसान के लिए दी जानेवाली क्षतिपूर्ति योजना (Compensation Plan) है, ताकि किसानों को सुरक्षा कवच प्रदान किया जा सके।
किसानों को किसी प्रकार के फसल बीमा प्रीमियम का भुगतान करने की जरूरत नहीं
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को किसी प्रकार के फसल बीमा प्रीमियम (Crop Insurance Premium) का भुगतान करने की जरूरत नहीं होती है। इसमें फसल क्षति होने पर सीधे सरकार द्वारा किसानों को मुआवजा दिया जाता है।
योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को झारखंड फसल राहत योजना की Website पर जाना होगा और Registration कराना होगाा। रजिस्ट्रेशन कराने के लिए Mobile Number का होना जरूरी है। Website में निबंधन कराकर किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन दे सकते हैं। इस योजना का लाभ जमीन मालिक और भूमिहीन किसान दोनों ही लाभ प्राप्त करने के हकदार हैं।
कृषक न्यूनतम 10 Decimals और अधिकतम पांच एकड़ तक की भूमि के लिए निबंधन करा सकते हैं। योजना सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक होगी।
Farmers का झारखंड राज्य का निवासी होना जरूरी है, जिनकी उम्र न्यूनतम 18 वर्ष होनी चाहिए। खरीफ फसल मौसम 2022 के लिए निबंधन की प्रक्रिया शुरू है। इसके लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर है।
योजना के लिए पोर्टल किया गया विकसित
योजना के लिए www.jrfry.jharkhand.gov.in पोर्टल विकसित किया गया है। इससे किसान, राज्य तथा बैंक के बीच बेहतर प्रशासन एवं समन्वय के साथ-साथ सूचनाओं का प्रसार किया जायेगा।
क्षति पूर्ति की गणना इत्यादि के उद्देश्य से फसल वार, क्षेत्रवार, विगत वर्षा के उपज आंकड़े, मौसम के आंकड़े, बुवाई क्षेत्र, क्षतिपूर्ति के आंकड़े, आपदा वर्षों तथा वास्तविक उपज संबंधी सभी आंकड़े उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को www.jrfry.jharkhand.gov.in पोर्टल पर जानकारियां अपलोड करनी है।
क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड (Aadhar card) अनिवार्य है। पात्र किसान स्व घोषणा पत्र के माध्यम से अपने आधार का उपयोग करने की सहमति देंगे। Aadhar card नहीं रखने वाले किसान भी नामांकन कर सकते हैं। उनको आधार नंबर के लिए नामांकन का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तरीय, जिला स्तरीय, प्रखंड स्तरीय तथा पंचायत स्तरीय समन्वय समिति का गठन किया गया है।
शिकायत निवारण कोषांग (DLGRC) का गठन
इसके अलावा विभागीय कार्यकारी समिति, शिकायतों का निवारण करने के लिए पंचायत स्तरीय, प्रखंड स्तरीय व जिला स्तरीय शिकायत निवारण कोषांग (DLGRC) का गठन किया गया है।
किसानों को क्षतिपूर्ति प्रदान करने के लिए PFMS Portal के द्वारा DBT के माध्यम से मुआवजा राशि जारी की जाएगी। कम से कम 20 प्रतिशत फसल की क्षति का नुकसान होने पर फसल सहायता किसान को दी जाएगी। 20 प्रतिशत से अधिक क्षति होने पर Pro Rata के आधार पर सहायता का लाभ दिया जाएगा।
ऑनलाइन पंजीकरण के लिए यह अनिवार्य
ऑनलाइन निबंधन (Online Registration) के लिए आधार नंबर, मोबाइल नंबर, आधार से लिंक बैंक खाता, अद्यतन भू-स्वामीत्व प्रमाण पत्र अथवा 31 मार्च 2022 तक की राजस्व रसीद देना जरूरी है।
इसमें मुखिया, ग्राम प्रधान, राजस्व कर्मचारी, अंचल अधिकारी द्वारा निर्गत वंशावली, सरकारी भूमि पर खेती करने के लिए राजस्व विभाग (Revenue Department) से निर्गत बंदोबस्ती पट्टा, रैयत और बटाईदार द्वारा घोषणा पत्र, पंजीकृत किसानों के चयनित फसल एवं बुवाई के रकबा का पूरा विवरण, योजना के प्रमुख प्रावधान, केवल प्राकृतिक आपदा से होने वाले फसल क्षति का लाभ प्रदान किया जाएगा।
फसल मौसम (खरीफ एवं रबी) में अलग-अलग निबंध एवं आवेदन करना होगा, योजना के लिए कोई Premium नहीं देना होगा, प्राकृतिक आपदा (Natural Calamity) से फसल क्षति का आकलन एवं निर्धारण क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट (CCE) के द्वारा किया जाएगा।
30 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक क्षति होने पर आवेदक को प्रति एकड़ 3000 रुपए, 50 प्रतिशत से अधिक क्षति होने पर प्रति एकड़ 4000 रुपए एवं अधिकतम पांच एकड़ तक फसल क्षति का लाभ प्रदान किया जाएगा।