गुमला: आदिवासी बहुल गुमला जिला मुख्यालय में प्रकृति का महापर्व सरहुल पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया गया। विभिन्न सरना स्थलों पर बैगा-पुजार द्वारा पूजनोपरांत एक विशाल शोभा यात्रा निकाली गई।
इसके बाद तो गुमला की सड़कों पर जनसैलाब उतर आया। ढोल-नगाड़े और मांदर की थाप पर हजारों की संख्या में हर उम्र की महिलाएं,युवतियां, नौजवान, वृद्ध व बच्चें सभी थिरकते हुए नजर आएं। हर तरफ उत्साह और उमंग का माहौल था।
घंट- घड़ियाल की मधुर ध्वनियां और लाल पाड़ -सफेद साड़ी व जूड़े में सरई फूल खोंसे नृत्यरत महिलाएं मनोरम दृश्य उत्पन्न कर रही थी।
पुरा शहर सरना झंडे से पटा हुआ था
इस सरहुल शोभायात्रा में करमटोली,शास्त्री नगर,तेलगांव,सिलम,सिलम बरटोली, चाहा, चेटर, दुंदुरिया,शिव नगर, पुगू,आदिवासी बालिका छात्रावास, श्रीकृष्णा छात्रावास, आदिवासी छात्रावास दुंदुरिया,सरनाटोली आदि स्थानों से 60 से अधिक खोड़हा दल पारंपरिक वेशभूषा, ढोल-नगाड़े, बैनर और झंडे के साथ शामिल हुए।
जगह-जगह इनके स्वागत में विभिन्न संस्थाओं द्वारा शीतल,पेयजल,शर्बत,गुड़ चना आदि की व्यवस्था की गई थी। पुरा शहर सरना झंडे से पटा हुआ था।
सरहुल शोभायात्रा में पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री सह सांसद सुदर्शन भगत,नगर परिषद अध्यक्ष दीपनारायण उरांव, पूर्व विधायक कमलेश उरांव, पुनई उरांव, भिखारी भगत, महाबीर उरांव, सागर उरांव, चुमनू उरांव,शकुंतला उरांव, भैयाराम उरांव आदि प्रमुख लोग मौजूद थे।