रांची: झारखंड हाई कोर्ट में गुरुवार को उस एलपीए पर सुनवाई हुई, जो माध्यमिक शिक्षक नियुक्ति में पारा कोटे को लेकर दायर किया गया है।
सुनवाई के दौरान वादी की ओर से वरीय अधिवक्ता आरएन सहाय ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2015 में माध्यमिक शिक्षक नियुक्ति में 50 प्रतिशत सीट पारा शिक्षकों के लिए आरक्षित थी।
फिर भी कई पारा शिक्षकों ने पारा शिक्षक श्रेणी में आवेदन करने के बजाय गैर-पारा शिक्षक श्रेणी में आवेदन किया था। जब वे परीक्षा में सफल हुए, तो जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) ने उनकी काउंसलिंग करने से इनकार कर दिया था।
डीईओ का तर्क था कि पारा शिक्षक होते हुए गैर-पारा शिक्षक श्रेणी में आवेदन किया, इसलिए उन्हें पारा शिक्षक श्रेणी का लाभ नहीं मिलेगा। इस पर सफल पारा शिक्षकों ने हाई कोर्ट में रिट पिटीशन दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
उसके बाद एलपीए दायर किया गया, जिस पर कोर्ट ने कहा कि जब विज्ञापन में किसी तरह की मनाही नहीं थी, तो पारा शिक्षक गैर-पारा शिक्षक श्रेणी में आवेदन कर सकते थे।
इस पर राज्य सरकार ने कहा कि याचिका दायर करनेवाले जो पारा शिक्षक गैर-पारा शिक्षक श्रेणी में सफल हुए हैं, उन सभी की काउंसलिंग होगी।
इस पर वादी के अधिवक्ता ने कोर्ट से मांग करते हुए कहा कि गैर-पारा शिक्षक श्रेणी में सफल होनेवाले सभी पारा शिक्षकों की काउंसलिंग होनी चाहिए। चाहे उन्होंने रिट पिटीशन दायर की हो या नहीं।
हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रखा है। हाई कोर्ट अगले सप्ताह इस मामले में फैसला सुना सकता है।