झारखंड

नाबालिग को अभिभावकों की सहमति के बिना ले जाना अपहरण के समान, हाईकोर्ट ने…

शनिवार को झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है कि एक नाबालिग लड़की को अलग-अलग स्थानों पर ले जाना प्रलोभन है।

Jharkhand High Court: शनिवार को झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है कि एक नाबालिग लड़की को अलग-अलग स्थानों पर ले जाना प्रलोभन है।

इस कारण भारतीय दंड संहिता की धारा 363 के तहत अपहरण (Abduction) के लिए दोषी ठहराया जाएगा। नाबालिग को अभिभावकों की सहमति के बिना ले जाना या फुसलाना अपहरण जैसा होगा।

इस मामले की सुनवाई High Court के न्यायाधीश Justice Gautam Kumar Chaudhary की बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट में इस बात के साक्ष्य प्रस्तुत किये गये कि पीड़ित लड़की घटना के समय 18 वर्ष से कम थी और इसलिए उसकी सहमति महत्वहीन होगी।

यह फैसला एक आपराधिक अपील में आया है, जिसमें IPC की धारा 366ए के तहत अपीलकर्ताओं को दोषी ठहराने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी।

पीड़िता की मां द्वारा दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) के मुताबिक, उनकी 15 वर्षीय बेटी को उनके पड़ोसी सकिन्दर बैठा बहला-फुसलाकर 30 जून 2004 की सुबह 4 बजे अपने साथ ले गया। कई प्रयास के बावजूद उसका पता नहीं लगाया जा सका। सामाजिक दबाव के कारण उसे वापस लौटाया गया।

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