मेदिनीनगर : झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) ने जपला स्थित एके सिंह कॉलेज (AK Singh College) के बर्खास्त कर्मियों के मामले में नीलाम्बर-पीताम्बर विश्वविद्यालय के कुलपति को छह सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश जारी किया है।
जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद (Justice Sujit Narayan Prasad) की अदालत ने बुधवार को कॉलेज कर्मियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया है।इस संबंध में अंकित कश्यप और अन्य कर्मियों ने याचिका दायर की है।
प्रार्थियों के अधिवक्ता अनुराग कश्यप ने मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि पलामू जिले के जपला स्थित एके सिंह डिग्री कॉलेज में वर्ष 2014 में शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति के लिए विभिन्न समाचारपत्रों में विज्ञापन निकाला गया था।
2017 में उनका मानदेय भुगतान बंद कर दिया गया
इस विज्ञापन के आलोक में प्रार्थियों की नियुक्ति भी की गई थी और उन्हें मानदेय का भुगतान भी किया जा रहा था, किंतु वर्ष 2017 में उनका मानदेय भुगतान बंद कर दिया गया।
इसके बाद वर्ष 2021 में इन्हें सेवा से यह कहकर बर्खास्त कर दिया गया कि नियुक्ति के लिये गठित कमिटी ही अवैध थी। प्राथियों का कहना है कि इसमें उनका क्या कसूर है और उन्हें किस बात की सजा दी जा रही है?
अदालत को बताया गया कि अगर कॉलेज की कमिटी गलत थी, तो उसके लिए कर्मचारी तो जिम्मेवार नहीं है। इसलिये उनकी सेवा बहाल करते हुए उनके बकाये वेतन का भुगतान कराया जाए।
इसपर अदालत ने सभी प्रार्थियों को कुलपति (Vice Chancellor) को इस संबंध में आवेदन देने और कुलपति को छह सप्ताह के अंदर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।