झारखंड

झारखंड : जामताड़ा के इस विद्यालय में 5 शिक्षकों के भरोसे है 14 सौ बच्चों की पढ़ाई

जामताड़ा : राज्य सरकार प्रदेश में बच्चों को बेहतर शिक्षा मुहैया (Better education) करने के भले ही लाख दावे कर ले, मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर बयां करती है।

जामताड़ा जिले (Jamtara District) के करमाटांड़ प्रखंड क्षेत्र के मुख्य बाजार स्थित एकमात्र प्लस टू विद्यालय इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण है। सच्चाई यह है कि इस स्कूल में 14 सौ बच्चों की पढ़ाई सिर्फ 5 शिक्षक के भरोसे है।

स्कूल में नहीं पाती है 11वीं एवं 12वीं के छात्र-छात्राओं की पढ़ाई

गौरतलब है कि जामताड़ा जिले के करमाटांड क्षेत्र में संचालित राजकीयकृत गुलाब राय गुटगुटिया (Stateized Gulab Rai Gutgutia) को चार वर्ष पहले प्लस टू विद्यालय में Upgrade कर दिया गया, परंतु विभाग द्वारा संसाधन उपलब्ध कराना जरूरी नहीं समझा गया। इस वजह से इस विद्यालय के 11th and 12th की अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की पढ़ाई हो ही नहीं पाती है।

इस School में कक्षा 9 से नौवीं से 12वीं तक कुल 14 सौ बच्चे हैं, जिसके लिए विद्यालय में मात्र 5 शिक्षक पदस्थापित (Teacher posted) हैं।

नौवीं एवं दसवीं कक्षा की एक सौ से अधिक बच्चों का तीन तीन सेक्शन, वहीं ग्यारहवीं एवं बारहवीं कक्षा के लिए 44 सेक्शन बनाया गया है। यानि कुल 10 Section के लिए महज 5 शिक्षक हैं, जिसमें एक शिक्षक प्रधानाचार्य के कार्यों का निर्वहन भी करते हैं।

शिक्षकों की कमी से बच्चों का पठन-पाठन बुरी तरह हो रहा प्रभावित

नौवीं कक्षा में 300, दसवीं कक्षा में 307, कक्षा 11वीं में 437 एवं 12वीं कक्षा में 358 छात्र-छात्राओं का नामांकन हो चुका है, वहीं अभी नामांकन जारी है।

प्रखंड क्षेत्र में एकमात्र प्लस टू विद्यालय (Plus two school) रहने के कारण क्षमता से अधिक नामांकन हो रहे हैं। स्कूल में 24 शिक्षक की जगह 3 भाषा एवं 3 विषय, दो वोकेशनल शिक्षक हैं।

13 शिक्षकों की जगह माध्यमिक में हिन्दी, उर्दू, संस्कृत एवं शारीरिक शिक्षक पदस्थापित हैं वही प्लस टू के कला एवं विज्ञान संकाय (Faculty of Arts and Sciences) के लिए नियमानुसार 11 शिक्षक होने चाहिए, जिसमें विद्यालय में मात्र 3 शिक्षक पदस्थापित हैं।

प्लस टू में गणित, भूगोल एवं अर्थशास्त्र के शिक्षक हैं, जिसमें गणित के शिक्षक प्रधानाध्यापक के पद पर हैं। उन्हें विभागीय कार्य (Departmental work) करने में व्यस्त रहना पड़ता है, जिससे स्कूल के बच्चों का पठन-पाठन का कार्य बुरी तरह से प्रभावित होता है।

प्रधानाध्यापक भी शिक्षकों की कमी की बात को स्वीकार करते हैं

प्रधानाध्यापक रितेश कुमार सिंह (Ritesh Kumar Singh) ने बताया कि विद्यालय में आवश्यकता अनुसार शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है।

वर्तमान समय में 1,000 से अधिक बच्चे विद्यालय में प्रतिदिन आते हैं, जिनके लिए विद्यालय में ठीक ढंग से बैठने तक की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है, वहीं 10 Section के तहत रूटिंग तय की गई है, परंतु शिक्षा की कमी से उसका अनुपालन (compliance) नहीं हो पाता है। एक साथ मात्र 5 कक्षा ही चल पाती है।

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