जमशेदपुर: राज्य के पूर्व मंत्री और विधायक सरयू राय ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर माइंस आवंटन मामले में जो आरोप लगा है।
इस तरह के मामलों में केंद्र की ओर से लागू कोड ऑफ कंडक्ट को लेकर राज्यों को किस हद तक विश्वास में लिया गया है यह देखना होगा।
उन्होंने कहा कि कायदे से तो मुख्यमंत्री को बिजनेस नहीं करना चाहिए, लेकिन अगर वे ऐसा करते हैं तो उसे लेकर कोई स्पष्ट नियम-कानून नहीं है कि सजा होना चाहिए या नहीं।
ऐसे मामलों के लिए स्पष्ट कानून बनना चाहिए। राय सोमवार को जमशेदपुर स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
मैनहर्ट मामले में जांच अधिकारी ने रिपोर्ट दे दी है
उन्होंने कहा है कि झारखंड में शीशे के घरों में रहने वाले ही एक-दूसरे के घरों में पत्थर मार रहे हैं। उन्होंने भाजपा और झामुमो की ओर से एक दूसरे पर लगाये जा रहे आरोपों पर कहा कि यहां सिर्फ आरोप ही लगते हैं। गंभीर आरोपों की जांच भी होती है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पर माइंस आवंटन मामले, पत्नी के नाम जमीन आवंटन सहित कई आरोप लगे हैं। नियमों की परिधि में सभी मामलों की जांच होनी चाहिए।
हेमंत सोरेन जब नेता प्रतिपक्ष थे उस वक्त भी उनपर कई आरोप लगे थे, लेकिन उन मामलों की जांच नहीं हुई। सिर्फ अखबारों में उस वक्त सत्ता पक्ष के नेताओं के बड़े-बड़े बयान छपे। वर्तमान सरकार ने उन मामलों को निपटाने का प्रयास नहीं किया।
वैसा ही इस सरकार में भी है। पूर्व सरकार के नेताओं पर आरोप लगे हैं, लेकिन सिर्फ अखबारों में ही बातें आती है। कार्रवाई कुछ भी नहीं।
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के भी कई नेताओं पर आरोप लगे हैं। विपक्ष के उन आरोपों की जांच करनी चाहिए और अपने नेताओं पर कार्रवाई करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उन्होंने भी दो मामले उठाये थे। एक मैनहर्ट और दूसरा टॉफी और टी-शर्ट घोटाले का। दोनों एसीबी जांच के दायरे में हैं। मैनहर्ट मामले में जांच अधिकारी ने रिपोर्ट दे दी है। इसपर कार्रवाई होनी चाहिए।