जामताड़ा: सरकारी बाबुओं की लापरवाही की खबरें अक्सर आती रहती हैं। लेकिन यहां लापरवाही की सारी हदें पार हो गईं, जब एक महिला ने अपने पति की मौत के बाद आवेदन दिया और विभाग की ओर से उसी महिला का मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर उसे थमा दिया गया।
अब यह महिला अपना मृत्यु प्रमाणपत्र लेकर दफ्तर दफ्तर की दौड़ लगा रही है, ताकि उसे इंसाफ मिले। लेकिन सरकारी काम तो सरकारी ही होता है न। अब थक-हार कर महिला न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी में है।
मामला करमाटांड़ प्रखंड के अलगचुंआ पंचायत का है, जहां पंचायत सचिव ने एक जीवित महिला का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया है। यह मामला सामने आने के बाद पंचायत में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
जिंदा होने का सबूत लिये भटक रही महिला
पीड़ित महिला चंद्रमा देवी ने बताया कि वो अलगचुंआ पंचायत की बनकट्टी गांव की रहने वाली है।
उसे जिंदा होने के सुबूतों के साथ भटकना पड़ रहा है। महिला ने जिंदा होने की बात कहते हुए मृत्यु प्रमाण पत्र निरस्त कराने की मांग की है।
क्या है मामला
उन्होंने बताया कि उनके पति लक्खी नारायण राय की मृत्यु 27 मार्च 2019 को बीमारी से हो गई थी।
उनके द्वारा पति की मौत के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए पंचायत में लिखित आवेदन दिया गया था। लेकिन पंचायत कार्यालय द्वारा आवेदक को ही मृत बताकर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया।
यह जानकारी उन्हें तब हुई जब वो सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन की, तो विभाग द्वारा मृत्यु प्रमाण-पत्र के आधार पर उन्हें योजना का लाभ लेने से वंचित कर दिया गया।
कहा गया कि इसके पूर्व भी वो कई बार पंचायतस्तर पर समस्या के समाधान के लिए गईं। परंतु आज तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हो सका।
क्या कहते हैं एडवोकेट
मामले में अधिवक्ता नंदन सिन्हा ने कहा कि महिला जिंदा है। लेकिन वो विभागीय लापरवाही का दंश झेल रही है।
पंचायत कार्यालय द्वारा बिना जांच-पड़ताल के ही चंद्रमा देवी के नाम मृत्यु प्रमाण पत्र बना दिया गया है, जो सरासर गलत है।
जबकि महिला के पति का देहांत हुआ है। पीड़ित महिला की ओर से न्यायालय में मुकदमा दायर कर उन्हें न्याय दिलवाऊंगा।