लोहरदगा: ईसाई धर्मावलंबियों ने रविवार को खजूर पर्व मनाया। इस अवसर पर अहले सुबह पल्ली पुरोहित की अगुवाई में लोहरदगा के विभिन्न चर्चों में मिस्सा पूजन का आयोजन किया गया।
इसके बाद बड़ी संख्या में विश्वासी धर्मावलंबी खजूर के साथ जुलूस में शामिल हुये। जहां पल्ली पुरोहितों ने खजूर डालियों को आशीष दिया।
तत्पश्चात सभी विश्वासी जन महागिरजाघर पहुंचे, जहां पाली पुरोहितों ने विधि विधान के साथ पूजन अनुष्ठान संपन्न कराया।
इस दौरान पल्ली पुरोहितों ने अपने संदेश में खजूर पर्व मनाये जाने के इतिहास को बताया। उन्होंने दुःख भोग का पाठ किया।
पल्ली पुरोहितों ने कहा कि आज का रविवार खजूर रविवार या दुःख भोग का रविवार कहा जाता है। हम येशु के दुःख भोग और मरन को याद करते हैं।
येशु के दुःख भोग और मरण के बारे में सुनते हैं
उन्होंने कहा कि जिस तरह खजूर की डाली जब पेड़ से जुड़ा रहता है तो वह हरा-भरा रहता है। पेड़ से अलग कर देने पर वह सूख जाता है।
उसी प्रकार हम येशु से जुड़े रहेंगे तो जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी और हम धार्मिक रहेंगे। जब हम ईश्वर से अलग होकर जीवन जीते हैं तो हमारा जीवन भी सूखी डाली की तरह हो होता है।
उन्होंने कहा कि आज हम येशु के दुःख भोग और मरण के बारे में सुनते हैं। येशु का क्रूस बलिदान तो मानव जाति के पाप और मृत्यु से मुक्ति का बलिदान था।
इस अवसर पर विभिन्न चर्चों के फादर और पल्ली पुरोहित सहित बड़ी संख्या में विश्वासी समाज के लोग मौजूद थे।