गढ़वा: गढ़वा (Garhwa) के कई इलाकों में आतंक का पर्याय बन चुका तेंदुआ (Leopard) बीते 17 घंटों में दो बार दिखा। इसके बाद उसे पकड़ने की मुहिम तेज कर दी गई है।
तेंदुए को शुक्रवार दोपहर रमकंडा (Ramkanda) के ग्रामीण अभिषेक ने देखा था। सूचना पर शूटर नवाब शफत अली खान की टीम पहुंची पर जांच में तेंदुआ के होने की पुष्टि नहीं हो सकी।
इधर गढ़वा में खोज के बीच बेतला के आसपास के गांवों में Leopards को देखने का दावा किया है।
गारू से लौट रहे नीलांबर-पीतांबरपुर (लेस्लीगंज) के लोगों ने बैगा पानी और टिकुलिया पत्थर (Tikulia Stone) के पास झाड़ियों में तेंदुए को देखने और उसका फोटो लेने का दावा किया।
शूटर शफत ने बरवा गांव के समीप तेंदुए को देखा
उससे पहले गुरुवार रात करीब आठ बजे रमकंडा के कुशवार से लौट रहे शूटर शफत ने बरवा गांव के समीप तेंदुए को देखा। शफत ने कहा कि वह करीब 82 मीटर दूर था।
उक्त कारण वह उसे ट्रैंकुलाइज (Tranquilize) नहीं कर सके। उनके पास जो बंदूक थी उसका रेंज 30 मीटर ही है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार सुबह उक्त स्थल पर पहुंचकर जायजा लिया।
वहां मौजूद पगमार्क (Pugmark) की जांच की गई। जांच में भी तेंदुआ होने की पुष्टि हुई। उसके बाद शुक्रवार को उक्त क्षेत्रों में मचान बनाने, पिंजरा लगाने के अलावा कैमरा (Camera) लगाने का काम शुरू कर दिया गया है।
रेंजर गोपाल चंद्रा ने बताया कि तेंदुए को देखे जाने के बाद टीम ने बरवा गांव के अलावा रोदो, कुशवार गांव पर अधिक ध्यान दे रही है।
इधर कुशवार से लौटने के क्रम में सर्च लाइट (Search Light) में तेंदुआ की एक झलक दिखी। वह हमसे करीब 82 मीटर दूर था। बेहोश करने का जो बंदूक था उसका रेंज 30 मीटर ही है।