झारखंड

मैनहर्ट घोटाला : टेंडर समिति, नगर निगम और नगर विकास विभाग के तत्कालीन अधिकारियों को नोटिस भेजेगा ACB

रांची : भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) मैनहर्ट घोटाला मामले में टेंडर समिति, नगर निगम और नगर विकास विभाग के तत्कालीन अधिकारियों को नोटिस भेजेगा।

एसीबी सूत्रों के अनुसार, इसे लेकर कार्मिक विभाग से जिन लोगों को नोटिस भेजा जाना है, उनका पता सहित कई अन्य जानकारी मांगी गयी है।

उल्लेखनीय है कि एसीबी की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में अनियमितता बरती गयी थी।

इस मामले में डीएसपी स्तर की जांच हो चुकी है। इसमें पाया गया है कि नियम और शर्तों में फेरबदल करते हुए मैनहर्ट को परामर्शी के रूप में नियुक्त कर दिया गया।

परामर्शी की नियुक्ति में शर्त यह थी कि काम उसी कंपनी को मिलेगा, जिसका टर्नओवर 300 करोड़ रुपये से अधिक हो और तीन साल का अनुभव हो। मैनहर्ट इन शर्तों को पूरा नहीं कर रही थी।

इसके बावजूद मैनहर्ट को काम दे दिया गया। इस मामले में तत्कालीन नगर विकास मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास आरोपी हैं।

इस मामले में जांच के दौरान 24 जून को तत्कालीन नगर विकास मंत्री रघुवर दास और आईएएस अधिकारी शशिरंजन को एसीबी ने नोटिस भेजा था। दोनों को अपना पक्ष रखने का निर्देश एसीबी ने दिया था।

रघुवर दास की ओर से पहले एसीबी को अपना पक्ष उपलब्ध कराया जा चुका है। अब शशिरंजन ने भी अपना जवाब एसीबी को भेजा है।

उन्होंने अपने जबाव में कहा है कि मैनहर्ट को काम आवंटित किये जाने के दौरान टेंडर समिति में थे। टेंडर समिति ने नियम से ही काम का आवंटन किया है।

शशिरंजन वर्तमान में एडिशनल फाइनेंशियल एडवाइजर के पद पर टेक्सटाइल डिपार्टमेंट, उद्योग भवन दिल्ली में कार्यरत हैं।

मालूम हो कि यह मामला 2005 का है, जब रघुवर दास अर्जुन मुंडा की सरकार में नगर विकास मंत्री थे।

ओआरजी/एसपीएएम प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी रांची शहर में सीवरेज और ड्रेनेज की डीपीआर बना रही थी।

करीब 75 फीसदी डीपीआर बनाने के बाद कंपनी से काम वापस ले लिया गया। यह काम मैनहर्ट कंपनी को दे दिया गया।

आरोप है कि मैनहर्ट को काम देने के लिए विभाग ने टेंडर की शर्तों का उल्लंघन किया। शर्त थी कि इच्छुक कंपनी का टर्नओवर 300 करोड़ रुपये होना चाहिए।

इसके अलावा संबंधित कार्य में तीन साल का अनुभव हो। मैनहर्ट शर्तों को पूरा नहीं करती थी। इसके बावजूद विभाग ने कंपनी को काम दे दिया।

मामला विधानसभा में उठा। विधानसभा ने जांच के लिए कमिटी बनायी। इसमें सरयू राय, प्रदीप यादव और सुखदेव भगत सदस्य थे। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मैनहर्ट को काम देने में गड़बड़ी हुई है।

साथ ही एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच करने की सिफारिश की, लेकिन जांच नहीं हुई।

मालूम हो कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक अक्टूबर को मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में घोटाले की जांच एसीबी से कराने का आदेश दिया था। यह कार्रवाई निर्दलीय विधायक सरयू राय की मांग पर की गयी थी।

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