रांची: JMM महासचिव नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने सोमवार को कहा कि BJP के 16 विधायक ने JMM से आग्रह किया है कि उन्हें JMM पार्टी में शामिल कर लिया जाये।
उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि BJP के प्रदेश नेतृत्व और विधायक दल के नेता से नाराज होकर 16 विधायकों ने संपर्क किया है। हमलोगों ने उसपर गंभीरता से विचार करने पर मन बनाया है। नाम पूछने पर उन्होंने कहा कि वे वरिष्ठ विधायक और कई बार BJP से चुनाव लड़ चुके हैं।
JMM ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को शुभकामनाएं और बधाई दी है। साथ ही पार्टी ने मांग की है कि वे नौ अगस्त (World Tribal Day) के दिन पेसा और वन अधिकार कानून के अक्षरशः पालन कराने का निर्देश दें।
वहीं, Sarna Religion Code को जनसंख्या कॉलम में शामिल कराने की घोषणा करें। भट्टाचार्य ने मांग करते हुए कहा, इस घोषणा से पूरे विश्व में संदेश जाएगा कि भारत के सर्वोच्च पद पर बैठे एक जनजातीय आदिवासी महिला ने देश के करोड़ों आदिवासियों की जनभावना को मजबूत किया है।
पेसा-वन अधिकार कानून को लेकर राष्ट्रपति से उम्मीद
उन्होंने कहा कि भारत का संविधान देश के नागरिकों का न केवल अधिकार, स्वतंत्रता और कर्तव्य को निर्देशित करता है, बल्कि लोकतंत्र के बुनियाद को भी मजबूत करता है।
संविधान की पांचवी अनुसूची (Fifth Schedule) आदिवासियों के पारम्परिक रीति-रिवाज, संस्कृति, सभ्यता और पहचान को बनाए रखने की गारंटी देता है।
आदिवासी समुदाय के हित में संसद ने 1996 में पेसा कानून (PESA Law) बनाया। एक लंबे संघर्ष के बाद 2006 में वन अधिकार कानून (FRL) बना। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति से हमें इन दो कानूनों को लेकर ज्यादा उम्मीद है।
कई सालों से सरना धर्म कोड की मांग
भट्टाचार्य (Bhattacharya) ने कहा कि आदिवासी समुदाय की पिछले कई वर्षों से सरना धर्म कोड (Sarna Religion Code) की मांग रही है। यह कोड आदिवासियों की पहचान, धर्म को मजबूत करता है।
JMM ने विधानसभा में इसपर सर्वसम्मत प्रस्ताव भी पास किया है। CM हेमंत सोरेन के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल (जिसमें कांग्रेस, आरजेडी, वामदल भाजपा और आजसू शामिल थे) ने केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah को एक ज्ञापन भी सौंपा था।
JMM की मांग है कि सर्वोच्च पद पर बैठने वाली पहली जनजातीय महिला जनसंख्या कॉलम में सरना धर्म कोड (Sarna Religion Code) को शामिल करने की घोषणा करें।
उन्होंने कहा कि इसी तरह देश के कई राज्यों में आर्थिक अभाव के कारण आदिवासी और दलित लोग अकारण लंबे समय से (अवधि पूरा होने के बाद भी) जेल में बंद हैं। नवनिवार्चित राष्ट्रपति से JMM मांग करता है कि ऐसे लोगो के मुक्ति का रास्ता भी वे प्रशस्त करें।