रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने कहा कि वीर शहीद निर्मल महतो का बलिदान राज्य हमेशा याद रखेगा।
झारखंड आंदोलन (Jharkhand Movement) के इस प्रणेता ने झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने में अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे।
हमें उनके पद चिन्हों पर चलकर राज्य को आगे बढ़ाने का काम करना है। हमें एकजुटता के साथ राज्य के विकास में अपना योगदान देना है।
मुख्यमंत्री सोमवार को वीर शहीद निर्मल महतो (Nirmal Mahto) के 35वें शहादत दिवस के अवसर पर कदमा जमशेदपुर में आयोजित सभा को संबोधित कर रहे थे।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने शहीद निर्मल महतो के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
मुख्यमंत्री ने शहीद निर्मल महतो के आवास स्थित उनके स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की एवं परिजनों से मुलाकात की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरुजी के नेतृत्व में झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने के लिए कई वीरों ने अपनी शहादत दी हैं।
कोल्हान प्रमंडल के कई वीर सपूतों (Brave sons) ने राज्य को अलग दर्जा दिलाने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया है। आज हमें उन शहीदों के सपनों का झारखंड निर्माण करना है।
इसके लिए राज्य सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नई दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की बैठक में सभी राज्य के मुख्यमंत्री आए थे।
बैठक में मैंने कहा था कि झारखंड का खनिज पूरे देश में जा रहा है, लेकिन झारखंड को इसका उचित मुआवजा नहीं मिल पा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य का एक लाख 36 करोड़ रुपये खनन कंपनियों पर बकाया है, केंद्र सरकार इस राशि को दिलाने का कार्य करे, ताकि इस राशि का उपयोग राज्य के सर्वांगीण विकास में किया जा सके।
घर में एक फलदार पेड़ लगाने पर पांच यूनिट बिजली फ्री
मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि राज्य में सुखाड़ जैसी स्थिति बन रही है। सरकार Farmers के हित के लिए कार्य कर रही है।
सरकार खेती के लिए सिंचाई प्राप्त हो सके, उसके लिए योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में चारों तरफ कंक्रीट के जंगल बढ़ रहे हैं।
इसके लिए सरकार एक योजना लाई है जिसके तहत शहर में रहने वाले व्यक्ति जो एक फलदार पेड़ लगाएंगे, उन्हें पांच यूनिट बिजली फ्री (five units electricity free) दी जाएगी।
09 एवं 10 अगस्त को राज्य में मनाया जाएगा आदिवासी महोत्सव
मुख्यमंत्री ने कहा कि 09 एवं 10 अगस्त को राज्य में आदिवासी महोत्सव मनाया जाएगा। इस महोत्सव के जरिए हम अपनी संस्कृति को राष्ट्र पटल पर रखने का काम करेंगे।
इस महोत्सव में हमारे आदिवासी सभ्यता (Tribal civilization) को दिखाने का कार्य किया जाएगा।
इस महोत्सव में विभिन्न राज्य एवं देश-विदेश के आदिवासी भाई-बहन आएंगे जो अपने संस्कृति से हमें अवगत कराएंगे और हमारी संस्कृति को समझने का उन्हें मौका मिलेगा।