रांची : मरीजों की बेहतर से बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से रिम्स प्रबंधन (Rims Management) ने हेल्पलाइन की शुरुआत की है, जिसके माध्यम से अब किसी मरीज अथवा उनके परिजनों को किसी तरह की परेशानी हो तो आप एक फोन कॉल कर अस्पताल प्रबंधन से मदद मांग सकते हैं। इस बात की जानकारी रांची राजधानी स्थित रिम्स (RIMS) के डायरेक्टर डॉ कामेश्वर प्रसाद ने मीडिया को दी।
अस्पताल प्रबंधन ने हेल्पलाइन के लिए कंट्रोल रूम किया स्थापित
रिम्स के डायरेक्टर ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन ने हेल्पलाइन के लिए कंट्रोल रूम (Control Room) की शुरुआत की है। इसके साथ ही सभी विभागों के हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिए गए हैं।
कॉल करते ही तत्काल समस्या का समाधान किया जाएगा। यह सुविधा सात दिन 24 घंटे मिलेगी। वे शुक्रवार को प्रशासनिक भवन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर पर डॉक्टरों से लेकर नर्स सहित अन्य सभी तरह की सुविधाओं के लिए कॉल किया जा सकता है, जिसकी मॉनिटरिंग ड्यूटी मेडिकल आफिसर के जिम्मे होगी। हर विभाग के इंचार्ज भी मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं पर नजर रखेंगे।
रिम्स के डायरेक्टर ने कहा कि रिम्स को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का प्रोजेक्ट मिला है। इस प्रोजेक्ट में भारत के 20 हॉस्पिटल हमारे साथ जुड़ेंगे।
इनमें एम्स भी शामिल है। उन्होंने कहा कि रिम्स को कोऑर्डिनेटिंग सेंटर बनाया गया है। इसमें लकवाग्रस्त (पैरालिसिस) के मरीजों के बेहतर इलाज पर चर्चा की जाएगी। रिसर्च स्टडी (Research Study) को पूरा करने के बाद रिपोर्ट आईसीएमआर और पब्लिकेशन को भी दिया जाएगा।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के द्वारा फंड उपलब्ध कराया गया है। एम्स (दिल्ली), पीजीआईएमएस (रोहतक), आईएचबीएएस (दिल्ली), आईजीआईएमएस (पटना), शिमला, चेन्नई, मनिपाल, पुणे समेत अन्य मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के लोग शामिल होंगे। रिसर्च का मुख्य उद्देश्य लकवा ग्रस्त मरीजों के इलाज में और क्या गुणात्मक सुधार हो सकता है। इस पर चर्चा की जाएगी।
इस मौके पर प्रोजेक्ट ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर डॉ अर्पिता राय (Project Training Coordinator Dr Arpita Rai) ने कहा कि डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ रिसर्च ने तीन साल की ट्रेनिंग के लिए 30 लाख का फंड रिम्स को मुहैया कराया है।
इसमें प्रथम वर्ष का रिसर्च पूरा हो गया है। गुड क्लिनिकल रिसर्च प्रैक्टिस के पहले साल के फेलोशिप कार्यक्रम छह हफ्ते में पूरी कर ली गयी है।
इनमें 40 प्रतिभागी शामिल हुए, जिसमें 32 को फेलोशिप दिया गया है। उन्होंने कहा कि झारखंड के मेडिकल और डेंटल कॉलेज के प्रतिभागी शामिल हुए। इनमें प्राध्यापक, पीजी और पीएचडी के छात्र शामिल हुए।
एक महीने में 4491 मरीजों का ट्रॉमा सेंटर में हुआ इलाज
रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ हिरेंद्र बिरुआ (Superintendent Dr. Hirendra Birua) ने बताया कि 13 जून से पुरानी इमरजेंसी को ट्रॉमा सेंटर एंड सेंट्रल इमरजेंसी में शिफ्ट किया गया है।
13 जून से 14 जुलाई के बीच यहां 4491 मरीजों का इलाज किया गया है। उन्होंने कहा कि यहां की व्यवस्था को और सुविधाजनक बनाने के लिए रिव्यू मीटिंग होगी।
साथ ही मोबाइल नंबर 8987760529 पर कंट्रोल रूम के इंचार्ज सीएमओ से बात कर ट्रॉमा सेंटर के बारे में जानकारी ली जा सकती है।
यूजी की सीटों के लिए एमसीआई ने निरीक्षण किया
रिम्स के डीन डॉ विवेक कश्यप ने कहा कि रिम्स में यूजी की सीटों के लिए एमसीआई ने निरीक्षण किया है। निरीक्षण के दौरान एमसीआई की टीम पूरी तरह से संतुष्ट दिखी।
पहली बार 30 अतिरिक्त सीट पर फाइनल ईयर के स्टूडेंट पहुंचे हैं। उनकी मान्यता को लेकर भी निरीक्षण किया गया था।
वर्तमान में रिम्स में कुल 180 इनमें 30 ईडब्ल्यूएस एमबीबीएस की सीट हैं। इसके अलावा रिम्स के एमडी पीएसएम और एमएस सर्जरी की सीटों के लिए भी निरीक्षण किया जाना है। कार्डियोलॉजी के डीएम के 2 सीटों के लिए भी कार्रवाई की जा रही है।
जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए आने वाले सैंपल की संख्या कम
जेनेटिक्स एंड जिनोमिक्स विभाग की एचओडी डॉ अनूपा प्रसाद (HOD Dr Anupa Prasad) ने कहा कि जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए कम से कम 96 सैंपल की जरूरत पड़ती है।
जिनकी सिटी वैल्यू 25 से कम है उनके सैंपल को ड्राई आइस में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजना चाहिए। उन्होंने कहा कि फिलहाल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल की संख्या बहुत कम आ रही है। इसकी वजह है कोरोना जांच की रफ्तार धीमा होना।
रिम्स सेंट्रल लैब में जांच की बढ़ेगी क्षमता
सेंट्रल लैब (Central Lab) में टेस्ट की क्षमता पर रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ हिरेंद्र बिरुआ ने कहा कि फिलहाल यहां 1400 से 1500 तक जांच प्रतिदिन हो रहे हैं और रिपोर्ट भी दो से तीन घंटे में मिल जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कार्डियोलॉजी विभाग की तरफ भी सैंपल कलेक्शन का पॉइंट बनाया गया है। हालांकि, यहां प्रतिदिन दस हजार सैंपल के जांच करने की क्षमता है लेकिन निजी लैब के टेक्नीशियन भी रिम्स में मरीजों को गुमराह कर सैंपल कलेक्शन का काम करते हैं। इस पर रिम्स के निदेशक ने कहा कि यहां की सुरक्षा व्यवस्था (security system) सुधरती ही नहीं है और यह चिंताजनक है।