रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने कहा कि सरकारी विद्यालयों की अब अलग पहचान बनेगी। ये विद्यालय शिक्षा के उत्कृष्ट और बेहतरीन केंद्र होंगे।
यहां बच्चों की गुणवत्ता युक्त पढ़ाई के साथ व्यक्तित्व विकास की सारी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इन विद्यालयों में आधारभूत संरचना को मजबूत बनाने के साथ पढ़ाई से संबंधित सभी आधुनिक सुविधाएं होंगी।
इसी संकल्प के साथ सरकारी विद्यालयों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने का सरकार ने संकल्प ले रखा है।
मुख्यमंत्री ने सोमवार को मॉडल स्कूल (स्कूल ऑफ एक्सीलेंस) ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव उच्च विद्यालय, जगन्नाथपुर, धुर्वा के निर्माणाधीन भवन का निरीक्षण करने के क्रम में कहा कि ये विद्यालय हर लिहाज से निजी विद्यालयों को टक्कर देते नजर आएंगे।
बच्चों के बेहतर भविष्य की नींव रखी जाएगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस सिर्फ एक विद्यालय नहीं होगा। यहां बच्चों के बेहतर भविष्य की नींव रखी जाएगी।
इसी सोच के साथ सरकार ने पूरे राज्य में कई सरकारी विद्यालयों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में बनाने का निर्णय लिया है।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए 405 विद्यालय चयनित किए गए हैं। इनमें पहले चरण में 80 विद्यालयों के कायाकल्प का काम शुरू हो चुका है।
पढ़ाई की सारी आधुनिक सुविधाएं होंगी उपलब्ध
मुख्यमंत्री ने कहा कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षा की सारी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। विशेषज्ञ शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे।
इन विद्यालयों में लैबोरेट्रीज, लाइब्रेरी और कंप्यूटर लैब की विशेष रूप से व्यवस्था की जा रही है।
इस मौके पर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव राजेश शर्मा से उन्होंने विद्यालय के निर्माण कार्य से संबंधित जानकारी ली एवं आवश्यक निर्देश दिए।
निर्माण कार्य में क्वालिटी से कोई समझौता नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के भवन निर्माण में मटेरियल्स की क्वालिटी से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। अगर घटिया निर्माण की शिकायत मिलती है तो संबंधित पदाधिकारी एवं अन्य के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने दिए ये निर्देश
-सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में मल्टीपरपस हॉल की व्यवस्था हो, ताकि यहां बच्चों की सभी एक्टिविटी को बेहतर तरीके से आयोजित किया जा सके।
– पुराने भवन और बन रहे भवन को एक परिसर में लाया जाय और दोनों भवनों में आने-जाने के लिए कॉरिडोर हो।
-विद्यालय भवन परिसर में जल संरक्षण को लेकर वाटर हार्वेस्टिंग की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
-विद्यालय परिसर की चहारदीवारी हो, ताकि उसका अतिक्रमण नहीं किया जा सके।
-यहां इनडोर और आउटडोर खेलों के लिए समुचित व्यवस्था हो।
-विद्यालय परिसर में चहारदीवारी के चारों ओर पेड़-पौधे लगाए जाएं।