रांची: राज्यपाल-सह-झारखंड राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति रमेश बैस (Ramesh Bais) ने कहा कि छात्रहित में उच्च शिक्षा विभाग को सदा सक्रिय रहना चाहिये। उन्हें अपनी कार्यप्रणाली में गति लानी होगी।
उन्हें संचिकाओं के आदान-प्रदान करने मात्र तक सीमित नहीं रहना चाहिये, बल्कि परिणाम व कार्यान्वयन के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए।
राज्यपाल सोमवार को राज भवन में विश्वविद्यालयों के विभिन्न समस्याओं के निदान हेतु किये जा रहे प्रयासों की समीक्षा कर रहे थे।
उन्होंने झारखंड प्रौद्यगिकी विश्वविद्यालय के स्टैच्यूट निर्माण की अद्यतन स्थिति की समीक्षा के क्रम में नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि स्टैच्यूट निर्माण की प्रक्रिया वर्ष 2017 से चल रही है और अब तक इसका निर्माण नहीं हुआ है। इतने वर्षों में निर्माण न होना बहुत ही गंभीर विषय है।
बैठक में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि स्टैच्यूट का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। वित्त विभाग की सहमति के लिए प्रेषित की गई है।
उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग को वित्त विभाग से समन्वय एवं संपर्क स्थापित करने के लिए निर्देशित किया।
बैठक में झारखंड प्रौद्यगिकी विश्वविद्यालय के लिए कुलपति की नियुक्ति की के संदर्भ में समीक्षा की।
राज्यपाल ने शिक्षक प्रोन्नति की दिशा में वर्ष 2010 से 2018 तक के अवधि के लिए स्टैच्यूट गठन की समीक्षा की करते हुए कहा है कि जल्द ही इसका गठन कर लिया जाय।
उच्च शिक्षा द्वारा अवगत कराया गया कि वित्त विभाग की सहमति प्राप्त करने के लिए संचिका वित्त विभाग को प्रेषित किया गया है।
राज्यपाल ने विनोबा भावे विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभागों में शिक्षकों के 70 पद एवं डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के पदों की स्वीकृति के संदर्भ में समीक्षा की।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों में विश्वविद्यालय में दिव्यांगजनों के आरक्षण संबंधी विषय पर कहा कि इस संदर्भ में विभाग को यूनिट न मानकर विश्वविद्यालय को यूनिट माना जाय।
स्थिति में परिवर्तन लाना होगा, रिक्तियों को भरना होगा
निःशक्त व्यक्ति (दिवयांगजन) अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत झारखंड सरकार के अधीन पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में एवं विनिर्दिष्ट शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन के लिए निःशक्तजनों को आरक्षण का यथोचित लाभ प्रदान होना चाहिए।
उन्होंने झारखंड खुला विश्वविद्यालय के संचालन के लिए जगह के संदर्भ में भी समीक्षा की। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा इस संदर्भ में अवगत कराया गया कि झारखंड प्रौद्यगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति सचिवालय भवन के द्वितीय तल पर स्थल चिन्हित की गई है।
राज्यपाल ने झारखंड राज्य के विश्वविद्यालयों में प्राध्यापकों तथा विश्वविद्यालय पदाधिकारियों की नियुक्ति की अद्यतन समीक्षा करते हुए कहा कि इतनी अधिक रिक्तियां (रांची विश्वविद्यालय, रांची में शिक्षकों के स्वीकृत पद 1032 के विरुद्ध 674 रिक्त्त पद, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में में शिक्षकों के स्वीकृत पद 166 के विरुद्ध 111 रिक्त्त पद, कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा में शिक्षकों के स्वीकृत पद 994 के विरुद्ध 719 रिक्त्त पद सहित में होना अत्यंत ही गंभीर विषय है।
इस स्थिति में परिवर्तन लाना होगा, रिक्तियों को भरना होगा। उन्होंने झारखंड लोकसेवा आयोग को प्रेषित अधियाचना की समीक्षा करते हुए कहा कि इस दिशा में गंभीरतापूर्वक ध्यान दें ताकि विश्वविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक के बैकलॉग एवं नियमित पदों, सह-प्राध्यापक, प्राध्यापक के पदों पर अतिशीघ्र भरा जाय। बैठक में झारखंड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अमिताभ चौधरी, राज्यपाल के प्रधान सचिव डॉ नितिन कुलकर्णी तथा उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।