रांची: झारखंड सरकार ने सहारा इंडिया परिवार (Sahara India Pariwar) में फंसे लोगों के पैसों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया है।
इस हेल्पलाइन नंबर पर सहारा के अलावा दूसरे नॉन बैंकिंग कंपनियों और कॉर्पोरेटिव सोसाइटी के विरुद्ध शिकायतों को भी दर्ज कराया जा सकता है।
विभाग ने इसके लिए एक पुलिस हेल्प लाइन नंबर 112 जारी किया है। जिन लोगों ने सहारा इंडिया परिवार (Sahara India Pariwar) में पैसा जमा किया है और वह अब शिकायत करना चाहते हैं तो वह इस हेल्पलाइन नंबर का सहारा ले सकते हैं।
लोगों से शिकायत मिलने के बाद वित्त विभाग सीआईडी (आर्थिक अपराध शाखा, झारखंड) के साथ मिलकर इसकी जांच और निदान में मदद करेगा।
2500 करोड़ रुपये फंसे होने की आशंका
10 मार्च को विधानसभा के बजट सत्र में विधायक नवीन जायसवाल ने नॉन बैंकिंग कंपनियों में झारखंड के लोगों का करीब 2500 करोड़ फंसे होने की बात कही थी।
उन्होंने कहा था कि तीन लाख लोग अपने पैसों को लेकर चिंतिंत हैं, इसलिए सरकार को हेल्प लाइन नंबर जारी करना चाहिए। नवीन जायसवाल ने कहा था कि इस हेल्पलाइन नंबर के जरिए पता लगेगा कि किसका कितना पैसा फंसा है।
इस पर सदन में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने माना था कि यह सही है कि सहारा में गांव देहात के लोगों का पैसा फंसा है। इसको राज्य सरकार ने संज्ञान में लिया है और एक हेल्पलाइन जारी किया गया है।
60 हजार लोगों का जीना हुआ मुश्किल
बजट सत्र में विधायक नवीन जायसवाल ने यह भी कहा था कि सहारा में काम करने वाले 60 हजार लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। स्थिति ऐसी हो गई है कि किसी की जान जा सकती है।
सदन में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने इस पर माना था कि यह सही है कि सहारा में गांव देहात के लोगों का पैसा फंसा है। सहारा लिस्टेड कंपनी है।
इसको सेबी कंट्रोल और सहारा प्रमुख को लेटर भेज दिया गया है। सहारा के खिलाफ जो भी शिकायत मिल रही है, उसे सरकार देख रही है। विभाग ने इसके निदान के लिए हरसंभव प्रयास करेगा।
सवाल पर वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा…
विधायक नवीन जायसवाल के सवाल पर वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि यह सही है कि सहारा में गांव-देहात के लोगों का पैसा फंस गया है।
ये छोटा-मोटा व्यवसाय करने वाले लोग हैं। दो तरह की कंपनी है। एक रेगुलेटेड और एक नॉन रेगुलेटेड। चिटफंड कंपनियों पर हम कार्रवाई कर सकते हैं। लेकिन सहारा लिस्टेड कंपनी है। इसको सेबी कंट्रोल करती है।
रामेश्वर उरांव ने सदन को बताया कि वित्त विभाग की ओर से सेबी को और सहारा के मालिक को पत्र लिखा गया है। हम जागरूक और सचेत हैं।
सहारा अपने सभी निवेशकों का पैसा वापस करने के लिए तैयार
सहारा इंडिया ने मंगलवार 8 मार्च 2022 को निवेशकों के पुनर्भगतान मामले में पटना हाईकोर्ट में अपना जवाब दिया। सहारा ने पूंजी बाजार नियामक पर निशाना साधते हुए कहा कि सेबी के पास जो 24 हजार करोड़ रुपये की रकम जमा है, वो निवेशकों कके पुनर्भुगतान के लिए है। लेकिन समूल की कंपनियों में निवेश करने वालों को सेबी की ओर से भुगतान नहीं किया गया है और यह बड़ी रकम ऐसे ही व्यर्थ पड़ी है।
नौ महीने में लौटाए सिर्फ 128 करोड़
सहारा की ओर से हाई कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील उमेश प्रसाद सिंह ने एक लिखित उत्तर में कहा कि बीते नौ सालों में सेबी ने सहारा ग्रुप ऑफ कंपनीज के निवेशकों को महज 128 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया है।
कंपनी की ओर से तर्क दिया गया कि सुप्रीम कोर्ट या फिर किसी अन्य अदालत की ओर से सेबी को सहारा की दो कंपनियों के अलावा अन्य कंपनियों/सोसाइटियों के निवेशकों को पुनर्भुगतान करने से रोकने के लिए कोई आदेश पारित नहीं किया गया है। जबकि उन कंपनियों द्वारा किए गए निवेश को सुप्रीम कोर्ट द्वारा फ्रीज किया गया है।
तो निवेशकों को भुगतान किया है और न ही सहारा को पैसा रिफंड किया
सहारा की ओर से वकील सिंह ने बताया कि लखनऊ उच्च न्यायालय के समक्ष दायर की गई एक रिट याचिका में बाजार नियामक सेबी ने खुद कहा था कि सहारा से मिले पैसे का उपयोग सहारा क्यू शॉप समेत अन्य सभी निवेशकों को पुनर्भुगतान के लिए होगा।
सेबी ने यह भी कहा था कि किसी भी स्थिति में अगर इसमें बाधा आती है तो फिर पैसा ब्याज के साथ सहारा को वापस कर दिया जाएगा। कंपनी की ओर से कहा गया कि सेबी अपने वादे पर खरा नहीं उतरा और उसने न तो निवेशकों को भुगतान किया है और न ही सहारा को पैसा रिफंड किया है।
सेबी को 25 मार्च तक देना होगा जवाब, 28 मार्च को अदालत में होना होगा
पेश
सिंह ने बताया कि सहारा की दलीलों पर सेबी के वकील संतोषजनक जवाब नहीं दे सके और पटना हाई कोर्ट ने बाजार नियामक को 25 मार्च तक इस संबंध में अपना लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
इसके अलावा कोर्ट की ओर यह निर्देश भी दिया गया है कि उठाए गए सभी सवालों का जवाब देने के लिए सेबी के एक जिम्मेदार और वरिष्ठ अधिकारी को 28 मार्च को अदालत में पेश होना होगा।