रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के 11वें दिन सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के अनुदान मांग पर कटौती प्रस्ताव रखते हुए भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कहा कि झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था बद से बदतर है।
कोरोना काल में जब राज्य की जनता दवा और इलाज के अभाव में मर रहे थे। उस समय भी स्वास्थ्य विभाग का बजट तिजौरी की ही शोभा बढ़ाता रहा।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-22 में स्वास्थ्य विभाग का बजट 3259 करोड़ का था। लेकिन अबतक खर्च मात्र 1181 करोड़ ही हो पाया है।
मात्र 36 प्रतिशत राशि ही अबतक खर्च हो सका है। यह आंकड़ा उस समय का है जब कोरोना काल पिक पर था।
उन्होनें कहा कि आज भी जनसंख्या के हिसाब से डॉक्टरों की संख्या राष्ट्रीय औसत से काफी कम है, जहां एक हजार की जनसंख्या पर एक डॉक्टर की व्यवस्था होनी चाहिए।
वहां झारखंड में 6500 की जनसंख्या पर एक डॉक्टर है। जो डॉक्टर हैं। वे अस्पताल की जगह निजी प्रैक्टिस में लगे रहते हैं। केंद्रीय योजना का भी बुरा हाल है। राज्य के अस्पतालों में न तो डॉक्टर हैं और न ही दवा है।
राज्य में मुख्यमंत्री आरोग्य योजना हांफ रहा है। पिछले बजट सत्र में यह घोषणा किया गया था कि राज्य में 10 ट्रामा सेंटर स्थापित करेंगे, आजतक काम भी शुरू नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि जन औषधि केंद्र सहित अन्य क्षेत्रों में भी सरकार काम नहीं कर पाई है।