रांची: झारखंड विधानसभा का बजट सत्र के 14वें दिन भोजनावकाश के बाद सदन में पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अनुदान मांग पर चर्चा हुई।
सरकार के उत्तर के दौरान भाजपा विधायकों ने सदन का बहिष्कार कर दिया। इसके बाद विभाग का एक अरब 54 करोड़ 32 लाख 99 हजार का अनुदान मांग पारित किया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो ने सभा की कार्यवाही 23 मार्च की सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
इससे पूर्व राजस्व विभाग की मांगों पर वाद-विवाद में भाग लेते हुए विधायक सरयू राय ने जमशेदपुर की बस्तियों को मालिकाना हक देने की मांग की।
उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव एवं राजस्व सचिव स्तर पर कई बार हुई। बैठकों में इस बारे में सहमति होने के बावजूद मामला जस का तस है। सरकार को इसे गम्भीरता से लेते हुए शीघ्र बस्तीवासियों को उनकी बसाहट पर मालिकाना हक़ देने की योजना लागू करनी चाहिए।
राय ने इस बारे में क्षितिज चन्द्र बोस बनाम आयुक्त, रांची एवं रांची नगर निगम के मुक़दमा में सर्वोच्च न्यायालय के छह फ़रवरी 1981 को दिये गये निर्णय को उद्धृत किया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय एआईआर 707 और एसएससी 103 में प्रकाशित है।
इसके अनुसार कोई सरकारी भूमि पर अधिकतम 30 वर्ष तक किसी का लगातार क़ब्ज़ा है और सरकार द्वारा क़ब्ज़ा नहीं हटाया गया है तो प्रतिकूल कब्जा (एडवर्स पोसेसिअन) के सिद्धांत के अनुसार क़ब्ज़ाधारी उस ज़मीन का मालिक माना जायेगा।
उन्होंने कहा कि जमशेदपुर अनिश्चितताओं का शहर बन गया है। टाटा की 1700 एकड़ जमीन वापस कर दी गयी लेकिन पिछले 50 वर्षों से रह रहे लोगों को अबतक मालिकाना हक नहीं मिला, जबकि सड़क, बिजली, पानी सभी की व्यवस्था उन्हें है।
पिछली सरकार ने कहा था कि हम लीज पर दे सकते हैं लेकिन मालिकाना हक नहीं दे सकते। बड़ी बड़ी कंपनियां राज्य की जमीन का अतिक्रमण कर रही हैं।
नादियों का अतिक्रमण हो रहा है। यह दुर्भाग्य है कि भारत सरकार का एक लाख दस हजार करोड़ रुपया मुआवजा का बकाया है। सरकार के प्रतिवेदन में झारखंड कार्यपालिका नियमावली का पालन नहीं हो रहा है।