रांची: झारखंड में सरयू राय एक बार फिर उफान पर हैं। राज्य की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले विधायक सरयू राय के निशाने पर इस बार राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता हैं।
सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाये हैं। उनके इस पत्र के बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गई है।
मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने तो इसे लेकर मुख्यमंत्री से स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग तक कर दी।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा है कि स्वास्थ्य मंत्री ने खुद और अपने लोगों को प्रोत्साहन राशि दिलवाकर हिंदी की डिक्शनरी में एक नया शब्द ‘बन्ना’ बांट जुड़वाया है। इस सरकार की जो कार्यशैली है, वह पहले किसी सरकार में नहीं दिखी।
मुख्यमंत्री इस मामले में बन्ना गुप्ता को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करें और पूरे मामले की जांच हाई कोर्ट के सीटिंग जज या फिर किसी केंद्रीय जांच एजेंसी से करायें।
सरयू राय ने लगाये हैं कई आरोप
जमशेदपुर पूर्वी से विधायक सरयू राय ने अवैध तरीके से प्रोत्साहन राशि लेने को लेकर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को घेरा है।
मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सरयू राय ने कहा है कि राज्य सरकार ने कोरोना काल में बेहतर काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को एक महीने का मूल वेतन प्रोत्साहन राशि के रूप में देने का फैसला किया था, जिसके बाद बेहतर काम करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने स्वयं एक माह का अतिरिक्त वेतन लिया।
स्वास्थ्य मंत्री ने प्रोत्साहन राशि खुद तो ले ली, दो सचिवों, निजी सहायकों, आदेश पालकों, आठ वाहन चालकों, चार सफाई कर्मियों और सुरक्षा में लगे 34 अंगरक्षकों समेत 60 लोगों को भी प्रोत्साहन राशि दिलावा दी।
इस पर सरकार के कुल 63 लख रुपये खर्च हुए हैं, यह बात अलग है कि मंत्री के शहर जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में अनुबंध पर काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को आज तक भुगतान नहीं किया गया।
सरयू राय ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि वह वह वित्तीय अनियमितता के लिए स्वास्थ्य मंत्री पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करें।
इसके अलावा उन्होंने मुख्यमंत्री को स्वास्थ्य मंत्री सहित कोषागार के अन्य कर्मियों द्वारा ली गई अनुचित अवैध प्रोत्साहन राशि की वसूली करने और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की भी मांग की है।
सरयू के वार पर बन्ना का पलटवार
सरयू राय के आरोपों की बौछार के बाद स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने भी पलटवार किया है। उन्होंने खुद को पाक साफ बताते हुए किसी भी जांच के लिए ओपन चैलेंज दिया।
इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने भी अपना पक्ष रखा है। साथ ही अपने मंत्री के बचाव में कहा है कि निर्धारित संकल्प के प्रावधानों के अनुसार सक्षम पदाधिकारी के अनुमोदन के बाद ही प्रोत्साहन राशि स्वीकृत हुई है।
इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि पिछले साल एक मई तथा 10 जुलाई को जारी विभागीय संकल्पों में निहित प्रावधानों तथा फाइल में सक्षम पदाधिकारी के अनुमोदन के बाद ही प्रोत्साहन राशि स्वीकृत हुई।
विभाग के अनुसार, मंत्री, उनके आप्त सचिवों, उनके कोषांग के कर्मियों और अंगरक्षकों सहित कुल 60 पदाधिकारियों, कर्मियों को प्रोत्साहन राशि स्वीकृत हुई जिसपर 14.59 लाख व्यय का आकलन किया गया।
स्वास्थ्य विभाग के कुल 94 पदाधिकारियों, कर्मियों की प्रोत्साहन राशि की अनुशंसा विभागीय कमेटी द्वारा की गई जिनमें 93 को भुगतान हुआ। इनपर 37 लाख रुपये खर्च हुए।
स्वास्थ्य विभाग ने यह भी कहा है कि उस संकल्प के तहत कोरोना संक्रमण की रोकथाम एवं चिकित्सा में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करनेवाले स्वास्थ्य विभाग के सभी कार्यालयों एवं अस्पतालों के पदाधिकारियों, चिकित्सकों एवं सभी कोटि के कर्मियों को प्रोत्साहन राशि स्वीकृत हुई है।
10 जुलाई 2021 को जारी संकल्प में इसपर 16.25 करोड़ रुपये के व्यय का अनुमान लगाया गया है।
हालांकि स्वास्थ्य विभाग के वक्तव्य के बाद सरयू राय ने इसे चैलेंज किया और शुक्रवार को जारी अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि मैं स्वास्थ्य विभाग के इस वक्तव्य को चुनौती देता हूं और छुट्टी के दिन स्वास्थ्य विभाग का ऑफिस खोलकर कोविड प्रोत्साहन राशि के भुगतान से संबंधित संचिका को उलटने-पलटने की निंदा करता हूं।
स्वास्थ्य मंत्री वित्तीय अनियमितता उजागर होने से विचलित हो गये हैं। उन्हें यह ख़याल नहीं है कि आपात स्थिति के अलावा ऐसे छुट्टी के दिन सरकारी ऑफिस खोलना महापुरुषों का अपमान है और नाजायज है।
अंबेडकर जयंती, महावीर जयंती और बैशाखी की छुट्टी के दिन ऑफिस खोलकर ये कौन सा आवश्यक कार्य कर रहे थे। मुझे आशंका है कि गुरुवार को छुट्टी के दिन अपना ऑफिस खोलकर स्वास्थ्य मंत्री ने संचिका में हेराफेरी करने और सबूतों को नष्ट करने का प्रयास किया है।
वे भयभीत हैं कि छुट्टी समाप्त होते ही मुख्यमंत्री या वित्त मंत्री जांच करने का आदेश देकर संबंधित संचिका जब्त कर सकते हैं और जांच के लिये संचिका अपने पास मंगवा सकते हैं।
तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को जेल की हवा खिला चुके हैं सरयू
सरयू राय के इन आरोपों के बाद स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता कैसे खुद को इन आरोपों की आंच से बचाते हैं यह तो समय बतायेगा पर सरयू राय का पूर्व का रिकार्ड रहा है कि वे अब तक तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को जेल की हवा खिला चुके हैं।
भ्रष्टाचार के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्र और झारखंड के मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को सलाखों के पीछे पहुंचाने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
यही नहीं सरयू राय बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास पर मैनहर्ट घोटाला तथा राज्य स्थापना दिवस समारोह में टॉफी-टीशर्ट बांटने के मामले में हुए घोटाले में उनकी संलिप्तता को लेकर भी आरोप लगा चुके हैं। अब मामले की जांच एसीबी कर रही है।
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा की सरयू राय का लेटर बम झारखंड की राजनीति में क्या गुल खिलाता है और बन्ना गुप्ता कैसे इस मामले में खुद को बचाते हैं।