रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो )के विधायक लोबिन हेंब्रम शुक्रवार को झारखंड विधानसभा में सदन के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने अपनी ही पार्टी की सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया।
भावुक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि वह इसकी शिकायत वे गुरुजी से करेंगे। क्योंकि गुरुजी उनके गार्जियन हैं। उन्होंने ही उन्हें राजनीति करना सिखाया है। लोबिन ने एक बार फिर से दोहराया है कि हेमंत सोरेन सदन के नेता हैं ना कि उनके। उनके नेता तो सिर्फ शिबू सोरेन हैं।
उन्होंने कहा कि आज सरकार में रह कर आहत हूं। पूरे झारखंड के लोग आहत है। पूरे झारखंड में 1932 के खतियान पर नियोजन नीति की मांग हो रही है।
जगह-जगह रैली निकाली जा रही
अभी भी पूरे प्रदेश में यह मांग छात्र, किसान, ग्रामीण मजदूर कर रहे है। जगह-जगह रैली निकाली जा रही है।
हेंब्रम ने कहा कि उन्हें सदन में बजट पर भाषण तक का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने पूछा कि क्या मुझे विधायक के नाते बोलने का हक नहीं है, लेकिन जानबूझ कर मुझे बोलने नही दिया गया, क्योंकि सरकार को लग रहा था कि मैं सरकार पर प्रहार करूंगा।
सभी विधायक दिल से सोचे कि गुरुजी का सपना क्या था ? अगर हम अपनी मिट्टी के बारे में नही सोचेंगे तो कौन सोचेगा ?
उन्होंने कहा कि वे पांच अप्रैल से पूरे राज्य का दौरा करेंगे। जन समर्थन मिलेगा। सिदो कान्हू के गांव से उनकी मिट्टी लेकर पूरे राज्य का दौरा करेंगे।
लोबिन हेंब्रम ने कहा कि अगर आज सदन में हमारे नेता गुरुजी होते तो यह बात नहीं कहते कि 1932 के खतियान पर स्थानीय नीति लागू नहीं होगी, लेकिन हेमंत सोरेन ने ऐसा बयान दिया।
हेमंत सोरेन ने कोर्ट का भी हवाला दिया। कोर्ट क्या करता नहीं करता, वह उस समय की बात थी। जनता का विश्वास टूट गया। उन्होंने कहा कि देश के हर राज्य में अलग अलग डोमिसाइल है।
अगर सर्वे होगा तो पता चलेगा कि कई लोग दो राज्यों का डोमिसाइल का लाभ ले रहे हैं। जनता आहत है। क्षेत्र से फोन आ रहा है।
स्टीफन मरांडी ने मुख्यमंत्री से बात करने के लिए समय मांगा। मुख्यमंत्री से बात के दौरान सुझाव दिया कि जिसका भी खतियान है, उसे स्थानीय माना जाये।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि इसपर आगे भी बैठक कर नीति बनाई जायेगी, लेकिन आज तक नीति नहीं बनी।