रांची: लॉ की पढ़ाई कमाने के लिए नहीं, जरूरतमंदों को न्याय दिलाने के लिए करें। सही कानूनी सलाह नहीं मिलने की वजह से जरूरतमंद न्याय के लिए भटकते हैं।
न्याय दिलाने की खुशी का आनंद बहुत ही सुखद होता है। यह बातें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत ने कही। शनिवार को वे नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ रांची में आयोजित तीसरे दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि वर्चुअली संबोधित कर रह थे।
अधिवक्ताओं का कर्तव्य अन्याय से लड़ना है, चाहे वह कहीं भी हो : राज्यपाल
मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि आज पवित्र दिन है। आज से नवरात्र शुरू हो रहा है जो शक्ति का प्रतीक है।
पहले लोगों की सोच थी कि लड़कियों को पढ़ाने से क्या होगा? पढ़-लिखकर ससुराल चली जायेगी। आज लड़कियों को लड़कों के मुकाबले ज्यादा गोल्ड मेडल मिले हैं।
लड़कियां लड़कों से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं का कर्तव्य अन्याय से लड़ना है, चाहे वह कहीं भी हो।
उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह एक ऐसा विशेष अवसर होता है, जिसमें विद्यार्थियों द्वारा अपने अध्ययन काल में की गई कड़ी मेहनत को लक्ष्यों की प्राप्ति और सफलता हासिल करने से जुड़ते हुए देखते हैं।
इस यात्रा में हमारे विद्यार्थी कई असाधारण क्षणों का अनुभव करते हैं। यह समारोह अन्य अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का भी कार्य करता है।
उन्होंने कहा कि विधि व्यवसाय को हर उस समाज में नेक पेशा माना जाता है जहां कानून का शासन चलता। हमारे देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और बहुत से स्वतंत्रता सेनानी अधिवक्ता थे।
वास्तव में, यह तर्क दिया जा सकता है कि हमारे नेताओं द्वारा अधिवक्ता के रूप में प्रशिक्षण ने हमारे राष्ट्रीय आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा कि विधि के विद्यार्थियों को सामाजिक समस्याओं के प्रति हमेशा सजग और जागरूक रहने की जरूरत है। राज्यपाल ने सभी विद्यार्थियों को उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।
मौके पर झारखंड उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन बतौर कुलाधिपति ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया।
यूनिवसिर्टी की ओर से बताया गया कि दीक्षांत समारोह में साल 2019, 2020 और 2021 के विद्यार्थी को उपाधि प्रदान की गई। इसमें कुल 447 विद्यार्थी को उपाधि मिली।
इसमें गोल्ड मेडलिस्ट की संख्या 60 थी। दीक्षांत समारोह में एलएलबी, एलएलएम और पीएचडी डिग्रीधारी को उपाधि प्रदान की गई। इसमें एलएलबी के 326, एलएलएम के 108 और पीएचडी के 13 स्टूडेंट्स को अतिथियों ने उपाधि प्रदान की।
इसमें यूजी बैच 2014-19 के कुल 114, यूजी बैच 2015-20 के कुल 107, यूजी बैच 2016-21 के कुल 105, पीजी बैच 2018-19 के कुल 33, पीजी बैच 2019-20 के कुल 38, और पीजी बैच 2020-21 के कुल 37 विद्यार्थी शामिल हैं।
सत्र 2016-21 में पहला रैंक ऋषिका कौशिक ने प्राप्त कर गोल्ड मेडल हासिल किया। आइपीसी के लिए ऋषिका कौशिक, इंटरनेशनल लॉ के लिए ऋषिका कौशिक, प्रोसेड्यूरल लॉ के लिए ऋषिका कौशिक, क्लीनिकल लीगल पेपर्स के लिए ऋषिका कौशिक, लॉ ऑफ टॉर्ट्स के लिए ऋषिका कौशिक को गोल्ड मेडल मिला।
जबकि सेकेंड रैंक आइपीआर में पूर्वी नीमा, लेबर लॉ में पूर्वी नीमा, फैमिली लॉ में पूर्वी नीमा, एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ में पूर्वी नीमा को गोल्ड मिला है। वहीं माइनिंग लॉ के लिए निकिता शर्मा, लॉ ऑफ ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी के लिए प्रज्ञा रक्षिता, कांस्टीट्यूशनल लॉ के लिए राजी नीमा, कांट्रैक्ट्स के लिए अनवेशा पांडेय, ज्यूरिशप्रूडेंस के लिए नेहा पांडेय, लॉ ऑफ टैक्सेशन के लिए नेहा पांडेय, ट्राइबल एंड कस्टमरी लॉ के लिए साक्षी जमुआर को गोल्ड मिला है।
इन विद्यार्थी को मिला गोल्ड
सत्र 2014-19 में पहला स्थान वागिशा को मिला। इन्हें इंटेलैक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स में ऑनर्स के लिए गोल्ड मेडल मिला। दूसरा स्थान एकता राठौड़ का रहा।
कांस्टीट्यूशनल लॉ ऑनर्स के लिए पूनम डांगी, क्लीनिकल लीगल पेपर्स में विशाका राजगड़िया, ज्यूरिशप्रूडेंस में भावना श्रद्धा, कांस्टीट्यूशनल लॉ में भावना श्रद्धा, क्रिमिनल लॉ ऑनर्स में एकता भारती, फैमिली लॉ में एकता भारती, कांट्रैक्ट्स में एकता भारती, कार्पोरेट लॉ आनर्स में शिवम, प्रोसेड्यूरल लॉ में श्रेयशी झा, लेबर लॉ में श्रेयशी तिवारी को गोल्ड मेडल मिला।