झारखंड

CIP रांची में मनाया गया “विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस”

इन मरीजों को चिकित्सक को दिखाना जरूरी है

रांची: “विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस” (World Schizophrenia Day) के अवसर पर केन्द्रीय मनोचिकित्सा संस्थान रांची के बह्यारोग विभागीय परिसर में मंगलवार को एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम चरक बह्यारोग परिसर में हुआ।

जिसमे सभी विभागों के लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन संस्थान में कार्यरत वरिष्ठ निवासी डॉक्टर डॉ. धीमन ने किया।

संस्थान प्रमुख, निदेशक व प्राचार्य डॉ. बासुदेब दास ने उपस्थित लोगों को इस बीमारी सम्बंधित जानकारी प्रदान की।

उन्होंने बीमारी सम्बंधित लक्षण, अनुवांशिकता, परिवार और वातावरण का प्रभाव व जरुरी उपचार संबधित जानकारी दी।

इसके उपरांत संस्थान की क्लिनिकल सायकोलॉजी विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ प्रियंका लेंका ने अपने व्याख्यान में सिजोफ्रेनिया के कारणों, उसके लक्षण, जांच के पैमाने वा विश्वस्तर पे इस बीमारी की क्या स्थिति है व कौन-कौन उपचार उपलब्ध है इसकी जानकारी भी दी गई।

इसके बाद के उपक्रम में उपस्थित लोगों के प्रश्नो के उत्तर संस्थान के सहयोगी प्राध्यापक डॉ. सुनीलकुमार सूर्यवंशी ने दिए।

इनमे कुछ प्रश्न जैसे “बीमारी कितने समय में ठीक हो सकती है, व कितने दिनों तक इलाज़ की जरुरत है व दवाओं के क्या दुष्परिणाम होते है” इनपे प्रकाश डाला गया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम का समापन भी डॉ.सूर्यवंशी ने किया।

बेहद ही खतरनाक है ये बीमारी

एक ऐसी बीमारी जो रोगी के जीवन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है। हमारा समाज मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के प्रति अब भी सहज नहीं है।

मस्तिष्क के मामले इतने ज्‍यादा जटिल हैं कि आप उसकी कल्‍पना भी नहीं कर सकती। मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट अक्सर चिंता और अवसाद जैसे मुद्दों की ओर ले जाती है।

मगर कुछ ऐसी मानसिक बीमारियां भी हैं, जिनके बारे में ज्‍यादातर लोग नहीं जानते। और यह किसी का भी पूरा जीवन प्रभावित कर सकती हैं। ऐसी ही एक बीमारी है सिजोफ्रेनिया।

इस बीमारी में मरीज वास्तविक दुनिया से अलग काल्पनिक जीवन जीने लगता है। भ्रम में रहते हैं।

खुद को ताकतवर, अमीर तो कभी बड़ी-बड़ी बातें करने लगते हैं। हालत गंभीर होने पर ये अपनों से खुद को जान का खतरा महसूस करने लगते हैं। ऐसी स्थिति पर मरीज को चिकित्सक को दिखाना जरूरी है।

सिजोफ्रेनिया के लक्षण

 

आपने इस शब्द के बारे में सुना होगा, लेकिन कितने लोग कह सकते हैं कि वे जानते हैं कि इसका क्या अर्थ है? रोग के कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

मतिभ्रम: उन चीजों, आवाजों, गंधों या ऐसे लोगों की कल्पना करना, जो वास्तव में वहां नहीं हैं

भ्रम: उन बातों पर विश्वास करना जो सच नहीं हैं, जैसे यह सोचना कि आपका टेलीविजन सेट आपको संदेश भेज रहा है

अव्यवस्थित विचार: विचारों की श्रृंखला का पालन न कर पाना

सिज़ोफ्रेनिया के बारे में तथ्य

यहां सिज़ोफ्रेनिया के बारे में कुछ तथ्य दिए गए हैं जो आपको बीमारी की गंभीरता को समझने में मदद करेंगे:

1. यह पूरी दुनिया में 20 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है

द लैंसेट के एक अध्ययन के अनुसार, सिज़ोफ्रेनिया अन्य मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों की तरह सामान्य नहीं हो सकता

है, लेकिन पूरी दुनिया में काफी आबादी को प्रभावित करता है।

2. इससे जल्दी मरने का खतरा बढ़ जाता है

क्लिनिकल साइकोलॉजी की वार्षिक समीक्षा में प्रकाशित शोध की मानें तो, जो लोग सिजोफ्रेनिया से पीड़ित हैं,

उनके सामान्य आबादी की तुलना में जल्दी मरने की संभावना दो से तीन गुना अधिक होती है।

यह हृदय रोगों और संक्रमण जैसी शारीरिक बीमारियों के बढ़ते जोखिम और आत्महत्या के विचार के उच्च उदाहरणों के कारण हो सकता है।

3. इसके कारण अज्ञात हैं

चिकित्सा समुदाय अभी भी यह नहीं जानता है कि किसी व्यक्ति में सिज़ोफ्रेनिया का क्या कारण है। बहुत से लोग मानते हैं कि यह आनुवंशिक कारकों और सामाजिक वातावरण का एक संयोजन है।

हालांकि, मानसिक बीमारी के सटीक कारण का पता नहीं चल पाया है। इसका मतलब यह भी है कि इसे रोकना या जोखिम वाले व्यक्तियों की पहचान करना आसान नहीं है। जिससे समय पर निदान प्रभावित होता है।

4. निदान करना आसान नहीं है

एक व्यक्ति को अक्सर यह एहसास नहीं हो पाता कि वे सिजोफ्रेनिया से पीड़ित हो सकता हैं। इसलिए, समय पर मदद नहीं ले पाता।

इसके अलावा, रोग के निदान में चिकित्सा पेशेवरों की सहायता के लिए कोई विशेष परीक्षण नहीं हैं।

5. यह प्रबंधनीय है

सिजोफ्रेनिया के लक्षण रोगियों के दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकते हैं और सामाजिक अलगाव का कारण भी बन सकते हैं।

इसलिए, जल्द से जल्द इलाज शुरू करना महत्वपूर्ण है। एक बार जब व्यक्ति नियमित दवाएं लेना शुरू कर देता है, तो बीमारी का प्रबंधन किया जा सकता है।

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