रामगढ़: Jharkhand weather alert मौसम विभाग के अनुसार 17 एवं 18 अक्टूबर को जिले में कई जगहों पर भारी बारिश की संभावना बनी हुई है।
इस वर्ष मानसून ऋतु में काफी अच्छी वर्षा हुई है। छह अक्टूबर को मानसून के लौटने के बाद भी वर्षा की स्थिति बनी हुई है। मौसम विभाग ने 21 अक्तूबर तक बारिश का अनुमान लगाया है।
कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों के अनुसार एक निम्न दबाव का क्षेत्र आंध्रप्रदेश तथा ओडिशा की सीमा के तटीय क्षेत्र में स्थित है। जो एक चक्रवात का कारक बन सकता है। रामगढ़ जिला एक बार फिर चक्रवाती तूफान की चपेट में है।
जिसके कारण झारखण्ड के पूर्वी और मध्य भाग के साथ रामगढ में भी 17 तथा 18 अक्टूबर को कई जगहों पर मध्यम से भारी बारिश के साथ मेघ-गर्जन, वज्रपात की भी संभावना है।
मौसम विभाग ने 17 और 18 अक्टूबर को राज्य के उत्तरी-पूर्वी, दक्षिणी-पूर्वी भाग और मध्य भागों में कहीं-कहीं भारी बारिश होने की संभावना जतायी है। साथ ही इस दौरान मौसम विज्ञान केंद्र, रांची द्वारा हल्के से मध्यम दर्जे की गर्जन होने की चेतावनी जारी की गयी है।
बताया गया है कि इस दौरान रांची और इसके आसपास के क्षेत्र में सामान्यत: बादल छाये रहेंगे। 17 अक्टूबर को अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 22 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। वहीं, 18 अक्टूबर को अधिकतम तापमान 27 डिग्री सेंटीग्रेड और न्यूनतम 22 डिग्री सेल्सियस रहेगी।
19 और 20 अक्तूबर के लिए मौसम अपडेट
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक 19 और 20 अक्टूबर को राज्य में कहीं-कहीं पर हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश का अनुमान लगाया गया है।
कहीं-कहीं पर वज्रपात होने की भी संभावना जतायी गयी है। 19 और 20 अक्तूबर को रांची और उसके आसपास के क्षेत्र में सामान्यत: बादल छाये रहेंगे।
मौसम केंद्र का पूर्वानुमान है कि 19 अक्टूबर को रांची और उसके आसपास के क्षेत्र में अधिकतम तापमान 27 डिग्री सेंटीग्रेड और न्यूनतम 22 डिग्री सेल्सियस रहेगा। वहीं, 20 अक्टूबर को अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेंटीग्रेड और न्यूनतम 21 डिग्री सेल्सियस रहेगा।
21 अक्तूबर को साफ रहेगा बादल
21 अक्टूबर को राज्य के कुछ स्थानों पर गर्जन के साथ हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश की संभावना है। रांची और उसके आसपास के क्षेत्र में आंशिक बादल छाये रहेंगे।
वहीं, मेघ गर्जन के साथ हल्के दर्जे की बारिश की संभावना है। 22 अक्टूबर को मौसम मुख्यत: शुष्क रहेगा और आसमान साफ रहेगा।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉक्टर दुष्यंत कुमार राघव ने कहा कि मानसून की वर्षा से इस वर्ष खरीफ के फसलों को पानी की कमी नहीं हुई। परन्तु मानसून के बीच में वर्षा चक्र में अवरोध लंबा हो जाने के कारण किसानों को सिंचाई की व्यवस्था करनी पड़ी।
उन्होंने बताया कि अभी धान की कटाई का समय आ गया है। इस समय भी मिट्टी में नमी की मात्रा भरपूर है। वर्षा की स्थिति बनने से निचली खेतों में जहाँ जल-जमाव की समस्या रहती है वहाँ धान की कटाई में विलंब होगा।
इसके कारण किसान जो रबी के मौसम में आलू की खेती करना चाहते हैं वो बुआई में पिछड़ जाएंगे।
आलू की बुआई में दो हफ़्ते का विलंब होने पर आलू में अगेती तथा पिछेती झुलसा रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है।
झुलसा रोग के लक्षण हैं पत्तों में गोल गहरे भूरे जलने के निशान। इस रोग के लिए मानकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करना चाहिए।
इसके साथ ही बुआई से पहले आलू के बीज को अन्त्रकोल (प्रोपिनेब 70% WP) 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित अवश्य करें।