बेंगलुरु: Karnataka High Court (कर्नाटक उच्च न्यायालय) ने 2012 में RTI (सूचना का अधिकार) कार्यकर्ता और ‘महा प्रचंड’ समाचार पत्र के संपादक लिंगाराजू की हत्या (Editor Lingaraju Murdered) से संबंधित मामले में सभी 12 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है।
लिंगाराजू पर 20 नवंबर, 2012 को उनके घर के पास तीन हथियारबंद लोगों (Armed Men) ने हमला किया था। उस समय वह एक सार्वजनिक नल से पानी ले रहे थे।
घटना के समय उनकी पत्नी उमा देवी उनके साथ थीं। उमा देवी ने शिकायत दर्ज कराई और उन्होंने पूर्व पार्षद गोविंदराजू पर संदेह जताया था।
उमा देवी ने अपनी शिकायत में कहा था कि गोविंदराजू को संदेह था कि उसके घर पर लोकायुक्त की छापेमारी (Lokayukta raids) में लिंगराजू का हाथ है और इस बात को लेकर वह नाराज था।
सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया
पुलिस ने इस मामले में गोविंदराजू (Govindaraju) के साथ 12 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। सत्र अदालत ने 28 अक्टूबर, 2020 को आरोपियों को दोषी पाया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई।
इस सजा के खिलाफ सभी आरोपियों ने उच्च न्यायालय में अपील की थी। न्यायमूर्ति के. सोमशेखर और न्यायमूर्ति टी. जी. शिवशंकर गौड़ा की खंडपीठ ने हाल ही में अपने फैसले में आरोपियों की अपीलों का निपटारा करते हुए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया।
उच्च न्यायालय (High Court) के अनुसार, अन्य गवाहों के साक्ष्य पीड़ित की पत्नी और बेटे के बयानों से मेल नहीं खाते।