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क़ुदरत का करिश्मा! झारखंड में यहां 8 साल से 24 घंटे बिना हैंडल के चापाकल से निकलता है हर दिन हजारों लीटर पानी

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खूंटी: जिले के सोसोटोली गांव के अद्भुत चापाकलको आठ वर्ष हो गए। अद्भुत इस दृष्टि से आठ वर्ष पूर्व बसंत पंचमी के दिन चापाकल की बोरिंग हुई है, उससे हर दिन अनवरत हजारों लीटर पानी निकल रहा है।

पानी की गति इतनी तेज है कि जमीन के मालिक अमित महतो ने पानी के संरक्षण के लिए पहले तो बड़े कुएं का निर्माण कराया, उसके बाद भी पानी बर्बाद होता रहा।

इसको देख अमित ने तालाब भी खुदवाया लेकिन तालाब भी पानी के भार को संभाल नहीं सका। आज हर दिन हजारों लीटर पानी खेतों में बहकर बर्बाद हो रहा है।

अमित महतो ने बताया कि बसंत पंचमी के दिन 2014 में चापाकल के लिए बोरिंग कराई। 280 फीट के बाद पानी की इतनी बड़ी धारा मिली कि उससे संभालना मुश्किल हो गया।

पानी की रफ्तार को रोकने के लिए गाड़ी के बड़े ट्यूब से उसे बांधकर रखा जाता है।

Nature's miracle! Here in Jharkhand, thousands of liters of water every day comes out of the handpump without a handle for 24 hours a day.

गांव की महिलाओं का कहना है कि बसंत पंचमी के दिन बोरिंग होने के कारण सरस्वती नदी उतर आई है। यही कारण है कि पानी की तीव्र धारा कभी रुकती नहीं।

पूरा सोसोटोली गांव है ड्राई जोन, 16 में 14 चापानल फेल

सोसोटोली गांव ड्राई जोन में आता है, जहां भूगर्भ जल का स्तर बेहद नीचे है। गांव के एक व्यक्ति ने नये मकान के लिए कुछ दिन पहले 950 फीट बोरिंग कराई लेकिन पानी नहीं मिला, वहीं इससे महज कुछ कदम दूरी पर अमित महतो का अद्भुत चापानल है, जहां से हर दिन हजारों लीटर पानी खेतों में बहकर बर्बाद हो रहा है।

Nature's miracle! Here in Jharkhand, thousands of liters of water every day comes out of the handpump without a handle for 24 hours a day.

गांव में जल संकट की स्थिति यह है कि सोसोटोली में 16 चापाकल लगाये गये हैं, उनमें से 14 फेल हो गये हैं।

पूरे सोसोटोली गांव में हो सकती है जलापूर्ति

गांव के प्रगतिशील किसान अमित महतो कहते हैं कि उनके चापाकल से जितना पानी हर दिन बर्बाद हो रहा है, यदि उसका संरक्षण कर गांव में इसकी आपूर्ति की जाएं, तो गांव वालों को काफी लाभ होगा।

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अमित बताते है कि छह वर्ष पूर्व नगर पंचायत के अधिकारियों ने चापाकल का अवलोकन किया था और जलापूर्ति के लिए योजना बनाने की बात कही थी लेकिन बात वहीं खत्म हो गई। बाद में नगर पंचायत ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई।

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