खूंटी: प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह डालसा अध्यक्ष सत्य प्रकाश (Dalsa President Satya Prakash) के मार्गदर्शन में रविवार को कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय (Kasturba Gandhi Residential Girls School) कर्रा में बाल विवाह और डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 2005 तथा संवैधानिक अधिकार के विषय पर विधिक जागरूकता, क्विज प्रतियोगिता और कानूनी वार्ता का आयोजन किया गया।
छात्राओं को संबोधित करते हुए डालसा सचिव मनोरंजन कुमार ने कहा कि बाल विवाह (Child Marriage) कानून अपराध है।
18 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों का शरीर शादी के लायक नहीं रहता है। कम उम्र में विवाह करने से अधिकतर बच्चियों की मौत गर्भावस्था के दौरान हो जाती है। प्रसव के दौरान जच्चा एवं बच्चा दोनों की जान खतरे में रहती है। प्रसव के दौरान सिर्फ बच्ची ही नहीं, बल्कि नवजात शिशु की भी मौत हो जाती है।
पीड़ित बच्ची अपने बचाव में कानून का ले सकती है सहारा
उन्होंने कहा कि कम उम्र में बच्चों का विवाह करने से उनकी शिक्षा अधूरी रह जाती है, जिससे उनका सामाजिक और वैवाहिक जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
डालसा सचिव (Dalsa Secretary) ने कहा कि यदि किसी घर के या सगे संबंधी अथवा समाज के लोग जबरन 18 वर्ष उम्र से पहले शादी के लिए दबाव बनाते हैं, यह कार्य गैर कानूनी है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि पीड़ित बच्ची अपने बचाव में कानून का सहारा ले सकती है और वह उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, डालसा के अध्यक्ष या सचिव के पास जाकर सहायता प्राप्त कर सकती है।
अधिनियम के बारे में छात्राओं को किया जागरूक
प्रत्येक पंचायत में स्थित विधिक सहायता केंद्र में जाकर PLV को सादा कागज पर आवेदन देकर कानूनी सहायता और संरक्षण प्राप्त किया जा सकता है।
व्यवहार न्यायालय खूंटी के अनुमंडलीय न्यायिक दंडाधिकारी दिनेश बाउरी ने छात्राओं को संविधान के बारे में जानकारी दी।
डालसा के पैनल अधिवक्ता मदन मोहन राम (Madan Mohan Ram) ने डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम के बारे में छात्राओं को जागरूक किया।