रांची : झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की कोर्ट में बुधवार को सातवीं झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) में आरक्षण (Reservation) का लाभ नहीं दिये जाने को लेकर दायर 13 याचिकाओं की सुनवाई हुई।
कोर्ट ने इसे वृहत बेंच में लंबित मामलों के साथ संलग्न कर सुनवाई करने को कहा है।
वृहत बेंच में इस तरह के समान इश्यू पर मामला लंबित है, जिसे देखते हुए कोर्ट ने वृहत बेंच में इस मामले को भी संलग्न कर सुनवाई करने को कहा है।
पिछली सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सुमित गड़ोदिया और अमृतांश वत्स ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के वर्ष 2016 के राजकुमार गिजरोईया बनाम दिल्ली NCT के आदेश का हवाला देते हुए अदालत को बताया था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि यदि जाति प्रमाण पत्र को स्पेसिफिक फॉर्मेट में देने में आगे पीछे कुछ समय लगता है तो इसके आधार पर नियुक्ति रद्द नहीं की जा सकती है।
अभ्यर्थियों का मार्क्स स्टेटमेंट जारी नहीं किया गया
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया था कि सातवीं JPSC की मेरिट लिस्ट मई 2022 में जारी की गई थी।
इसके बाद अभ्यर्थियों का मार्क्स स्टेटमेंट नहीं जारी किया गया। कोर्ट के निर्देश के बाद जनवरी 2023 में अभ्यर्थियों का मार्क्स स्टेटमेंट जारी किया गया, जिसमें याचिकाकर्ता ने अपने निर्धारित श्रेणी में कट ऑफ मार्क से ज्यादा अंक प्राप्त किया है।
13 याचिकाएं दाखिल की गई
JPSC ने यह कहते हुए इनका चयन नहीं किया कि उनकी ओर से दिया गया जाति प्रमाण पत्र राज्य सरकार की बजाय केंद्र सरकार ने जारी किया है।
याचिकाकर्ता ने की ओर से कहा गया था कि इनके प्रमाण पत्र सत्यापन के दौरान आयोग की ओर से कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई थी उन्हें साक्षात्कार में शामिल किया गया ऐसे में उनका चयन नहीं करना सही नहीं है।
मामले को लेकर याचिकाकर्ता सुनील कुमार सुमन, अंजलि बाखला सहित 13 याचिकाएं दाखिल की गई हैं।