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मजीठिया वेज बोर्ड मामला : श्रम अदालत ने Times ग्रुप के पूर्व कर्मियों की याचिकाओं को किया खारिज

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत (Delhi court) ने 80 से अधिक ऐसी याचिकाओं (petitions) को खारिज कर दिया है

जिनमें अनुरोध किया गया था कि टाइम्स समूह के समाचार पत्रों (Times Group newspapers) के प्रकाशक बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (Bennett Coleman & Co Ltd) को मजीठिया वेज बोर्ड (Majithia Wage Board) की सिफारिशों के अनुसार निर्धारित वेतनमान (Pay Scale) के अनुसार वेतन बढ़ाने का निर्देश दिया जाए।

श्रम न्यायालय (Labor Court) के पीठासीन न्यायाधीश राज कुमार ने कहा कि ACD (प्रोन्नति) स्वत: नहीं होती बल्कि यह संतोषजनक (Satisfactory ) तरीके से सेवा पूरी करने पर आधारित होती है।

न्यायाधीश ने 10 अक्टूबर के अपने फैसले में कहा, ‘मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि कर्मी मजीठिया वेज बोर्ड (Majithia Wage Board) की खंड संख्या 20 (Clause no. 20) के किसी भी उपखंड (Sub-Clauses) के उल्लंघन (Violation) को साबित करने में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं।

तदनुसार, मुद्दा संख्या … का फैसला प्रबंधन (Management) के पक्ष में और कर्मियों के खिलाफ (Against the Personnel) किया जाता है।’’

कर्मियों ने स्वीकार किया, उन्हें प्रबंधन से मिली पूरी राशि

अदालत ने यह भी कहा कि कर्मियों ने विभिन्न पत्रों और रसीदों (letters and Receipts ) के साथ यह स्वीकार किया कि उन्हें प्रबंधन से उनकी पूरी राशि मिली।

श्रम अदालत (Labor court) ने एक समान मुद्दे वाली 86 याचिकाओं (Petitions) का निपटारा कर दिया।

याचिकाकर्ताओं (Petitioners) ने अपनी सेवानिवृत्ति (Retirement) पर मिली राशि में वृद्धि किए जाने की मांग करते हुए दावा किया था कि वे मजीठिया वेज बोर्ड (Majithia Wage Board) की सिफारिशों के अनुसार बकाया वेतन (Arrears of Salary) या अंतरिम राहत (Interim Relief) के हकदार थे, जो उन्हें कंपनी द्वारा कथित तौर पर नहीं दी गई थी।

अदालत ने कहा कर्मी यह जताने में नाकाम रहे, संशोधित वेतनमान से मूल वेतन में किस प्रकार आई कमी

अदालत ने 53 पृष्ठों के अपने फैसले में कहा, ‘‘मुझे यह कहने में कोई संकोच (Hesitation) नहीं है कि कर्मी यह जताने में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं कि मजीठिया वेज बोर्ड (Majithia Wage Board) के तहत संशोधित वेतनमान (Revised Pay Scales) के निर्धारण के बाद उनके मूल वेतन (Basic Pay) में किस प्रकार भारी कमी आई।

मेरा मानना है कि प्रबंधन (Management) द्वारा सही तर्क दिया गया है कि मजीठिया वेज बोर्ड (Majithia Wage Board) के खंड 20 (आई) (Clause 20(i)) के अनुसार, किसी भी कर्मचारी को संशोधित वेतनमान (Revised Pay Scale) से अधिक नहीं दिया जाना।’’

फैसले में कहा गया है कि इस अदालत की राय में, प्रबंधन (Management) ने सही दलील दी है कि संशोधित वेतनमान (Revised Pay Scale) की अधिकतम सीमा से अधिक नए मूल वेतन के निर्धारण का दावा मजीठिया वेतन बोर्ड (Majithia Wage Board) की सिफारिशों के अनुरूप नहीं है।

प्रोन्नति ऑटोमेटिक नहीं बल्कि काम के संतोषजनक प्रदर्शन के अधीन है

अदालत ने कहा कि उसे यह मानने में कोई संकोच नहीं है कि प्रत्येक 10 साल की अवधि के दौरान प्रोन्नति (Promotion) स्वत: (ऑटोमेटिक) नहीं है बल्कि यह कर्मियों के काम के संतोषजनक प्रदर्शन (Satisfactory Performance ) के अधीन है।

फैसले में कहा गया है कि प्रबंधन ने समय-समय पर कुछ याचिकाकर्ताओं (Petitioners) को उनकी असंतोषजनक सेवाओं (Unsatisfactory services) और अनुशासनात्मक कार्रवाई (Disciplinary action) के संबंध में कई पत्र जारी किए थे।

इसके साथ ही इसमें कहा गया है कि सभी दावेदार (Claimants) पहले ही सेवानिवृत्त (Retired) हो चुके थे और ये याचिकाएं (Petitions) उनकी सेवानिवृत्ति (Retirement) के बाद दायर की गईं।

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