नई दिल्ली: भारत इलाके में चीन के साथ तनाव खत्म करने के लिए बातचीत भी कर रहा है, लेकिन चीन की चालबाजी को देखते हुए ताकत भी बढ़ा रहा है।
भारतीय नौसेना ने चीनी सैनिकों से निपटने के लिए पूर्वी लद्दाख में पैंगॉन्ग झील के पास अपने सबसे खतरनाक नेवी के कमांडो मार्कोस तैनात कर दिए हैं। यहां एयरफोर्स के गरुड़ कमांडो और आर्मी की पैरा स्पेशल फोर्स पहले से मौजूद हैं। मार्कोस दुनिया के सबसे खतरनाक कमांडो में शामिल हैं।
बिना ऑक्सीजन समुद्र के 55 मीटर नीचे 15 मिनट तक लड़ने में सक्षम
इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि 10 हजार सैनिकों में से सिर्फ एक को मार्कोस बनने का मौका मिलता है। जैसे अमेरिकी सेना में नेवी सील है, वैसे ही भारत के मार्कोस हैं, जो जमीन, हवा से लेकर समुद्र तक में किसी भी ऑपरेशन को कामयाबी से अंजाम देने में सक्षम है।
ये बिना ऑक्सीजन समुद्र के 55 मीटर नीचे करीब 15 मिनट तक लड़ सकते हैं। इन्हें दाढ़ी वाली फौज (बीयर्ड फोर्स) भी कहा जाता है।
चाकू से लेकर स्नाइपर राइफल चलाने की ट्रेनिंग
मार्कोस को हर तरह के हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है, फिर चाहे चाकू हो, स्नाइपर राइफल हो, हैंडगन हो या सबमशीन गन।
इनके पास दुनिया के सबसे बेहतरीन हथियार होते हैं। इनमें से एक इजरायली राइफल TAR-21 भी है, जो मार्कोस को और मारक बनाती है।
माइनस 40 डिग्री में 11 किमी की ऊंचाई से जम्प
जमीन से 11 किमी ऊंचाई से कूदना और पैराशूट जमीन के पास खोलना होता है।
हाहो- हाई अल्टीट्यूड हाई ओपनिंग: 8 किमी की ऊंचाई से कूदना होता है और 10 से 15 सेकंड में पैराशूट खोलना होता है। ट्रेनिंग माइनस 40 डिग्री में होती है।
पानी के अंदर ही तैरते हुए दुश्मन तक पहुंच जाते हैं
मार्कोस के लिए 20 साल तक के विशेष सैनिकों का चयन किया जाता है। इन्हें अगर मार्कोस के लिए चुन भी लिए जाते हैं तो ढाई से तीन साल की कठोर ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है।
इनकी कठिन ट्रेनिंग का हिस्सा ”डेथ क्रॉल” भी है जिसमें जवान को जांघों तक भरी कीचड़ में तेजी से भागना होता है, वो भी 25 किलो का जरूरी सामान और हथियार लेकर। इसके अलावा ये हाथ-पैर बंधे होने पर भी तैर सकते हैं।
90% कमांडो ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाते
बेसिक ट्रेनिंग 6 महीने की होती है। पहले दो महीने छंटनी होती है। फिर एक महीना कठोर फिजिकल टेस्ट होता है, जिसे 50% कमांडो ही पूरा कर पाते हैं।
बाकी कमांडोज को 9 महीने तक विभिन्न हथियार चलाने, युद्ध कौशल, दुश्मनों की खुफिया जानकारी जुटाने की ट्रेनिंग दी जाती है। फिर एक साल और सख्त ट्रेनिंग होती है। इसमें करीबी युद्ध, आतंकी हमले, बंधकों को छुड़ाना, दुश्मनों तक पहुंचना शामिल हैं।
ओसामा बिन लादेन का खात्मा करने वाली यूएस नेवी सील्स भी है
1987 में गठित दरअसल, मार्कोस का नाम पहले मरीन कमांडो फोर्स (एमसीएफ) था। समुद्र के भीतर दुश्मन की घुसपैठ या आतंकवाद का जवाब है जांबाज मार्कोस। ये दुनियाभर की स्पेशल फोर्स के साथ कई संयुक्त अभ्यास करते हैं। इनमें 2011 में ओसामा बिन लादेन का खात्मा करने वाली यूएस नेवी सील्स भी है। 26/11 हमले के वक्त मार्कोस ने ऑपरेशन ब्लैक टॉर्नेडो चलाकर आतंकियों को ढेर किया था। ये समुद्री ऑपरेशंस में इतने माहिर हैं कि पानी के अंदर ही तैरते हुए दुश्मन तक पहुंच जाते हैं।