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4 साल बाद हाउस अरेस्ट से बाहर आए मीर वाइज उमर फारूक, फूट-फूट कर रोए

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श्रीनगर: वरिष्ठ अलगाववादी और धार्मिक नेता मीरवाइज उमर फारूक (Mirwaiz Omar Farooq) चार साल बाद हाउस अरेस्ट (House Arrest) से बाहर आए।

शुक्रवार को मीरवाइज उमर फारूक शुक्रवार की नमाज अदा करने के लिए ऐतिहासिक जामा मस्जिद पहुंचे।

जब मीरवाइज मस्जिद में पहुंचे, तो यहां लोगों के साथ-साथ खुद उनके लिए भावुक पल था। इस दौरान वह फूट-फूटकर भी रोए।

उमर फारूक ने कहा…

मीरवाइज उमर फारूक (Mirwaiz Omar Farooq) ने कहा कि 1990 में उनके पिता की मृत्यु के बाद हाउस अरेस्ट के तहत चार साल का समय उनके जीवन का सबसे खराब समय था।

नजरबंदी (House Arrest) से रिहा होने के बाद मीरवाइज उमर ने पुराने श्रीनगर शहर के नौहट्टा इलाके में ऐतिहासिक जामा मस्जिद में शुक्रवार का उपदेश दिया। वह जामा मस्जिद के मंच पर चढ़ते समय वह भावुक होकर रो पड़े।

अपने उपदेश में मीरवाइज ने शांति की अपील की और कश्मीर पंडितों से घाटी वापस लौटने की अपील की। उन्होंने कहा कि मुझे लगातार 212 शुक्रवारों के बाद जामा मस्जिद में उपदेश देने की अनुमति दी गई।

लोगों को पता है कि 4 अगस्त, 2019 के बाद मुझे घर में नजरबंद कर दिया गया था और मुझे अपने घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी जा रही थी, जिसके कारण मैं मीरवाइज के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर सका।

दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया

उन्होंने कहा कि अदालत से संपर्क करने के बाद, कुछ पुलिस अधिकारी गुरुवार को उनसे मिलने आए और उन्हें सूचित किया कि उन्हें रिहा किया जा रहा है और वह शुक्रवार की नमाज अदा करने के लिए जामा मस्जिद जा सकते हैं।

उन्होंने कहा, ”मैं अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर सकता, लेकिन यह सब लोगों की दुआओं का परिणाम (Result of Prayers) है कि मैं यहां दोबारा उपदेश देने आया हूं। चार साल तक मंच से दूर रहना उनके लिए काफी मुश्किल था।

उन्होंने कहा कि 5 अगस्त 2019 के बाद लोगों को कठिन समय का सामना करना पड़ा क्योंकि जम्मू-कश्मीर की विशेष पहचान छीन ली गई और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों (Union Territories) में विभाजित कर दिया गया।

मेरी जिम्मेदारी है कि मैं लोगों के लिए आवाज उठाऊं : मीरवाइज

जम्मू-कश्मीर कई लोगों के लिए एक क्षेत्रीय मुद्दा हो सकता है, लेकिन यह एक मानवीय मुद्दा है और इसे बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। शांति की वकालत करने के बावजूद, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुझे राष्ट्र-विरोधी, शांति-विरोधी और अलगाववादी भी करार दिया गया।

मीरवाइज होने के नाते मेरी जिम्मेदारी है कि मैं लोगों के लिए आवाज उठाऊं। चूंकि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (Hurriyat Conference) लगातार आवाज उठाती रही, लेकिन मीडिया ने हमारे बयानों का इस्तेमाल बंद कर दिया। मैं अपने लोगों से कहना चाहता हूं कि यह धैर्य रखने और भरोसा रखने का समय है।

हुर्रियत का मानना है कि जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) का एक हिस्सा भारत में है जबकि बाकी दो पाकिस्तान और चीन में हैं। इन्हें पूरी तरह से विलय करने से जम्मू-कश्मीर पूरा हो जाएगा, जैसा कि 14 अगस्त 1947 को हुआ था।

यूक्रेन मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के बयान का जिक्र करते हुए मीरवाइज ने कहा कि उनका कहना सही है कि मौजूदा दौर युद्ध का नहीं है। उन्होंने कहा, ”हम भी बातचीत के जरिए जम्मू-कश्मीर मुद्दे के समाधान की वकालत करते रहे हैं।”

मीरवाइज ने सभी की रिहाई की मांग की

शांति के मार्ग पर चलते हुए, हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन दुर्भाग्य से, हमें अलगाववादी, राष्ट्र-विरोधी और शांति-विरोधी करार दिया गया।

लेकिन हमारी कोई व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा (personal ambition) नहीं है, हम केवल जम्मू-कश्मीर मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं।

यह हमारे शांतिपूर्ण मिशन के कारण है कि हम कश्मीरी प्रवासियों (Kashmiri Migrants) की वापसी के लिए अपील करना जारी रखते हैं।

मीरवाइज (Mirwaiz) ने सभी राजनीतिक कैदियों, हिरासत में लिए गए पत्रकारों, वकीलों, नागरिक समाज के सदस्यों और युवाओं की रिहाई की मांग की।

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