रांची: बुरे काम का बुरा नतीजा। आर्थिक अपराध पेचीदा (Economic Crime Complex) जरूर होता है, लेकिन जांच कारगर हो तो उसकी सच्चाई सामने जरूर आती है। ऐसा ही हुआ है भानु कंस्ट्रक्शन (Bhanu Construction) के संचालक संजय कुमार तिवारी के साथ।
पता चल रहा है कि झारखंड सरकार (Government of Jharkhand) के मिड डे मील (Mid Day Meal) के खाते से 100 करोड़ रुपये के फर्जी हस्तांतरण से जुड़ मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) मामले में संजय कुमार तिवारी पर एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट यानी प्रवर्तन निदेशालय (ED) का फंदा कसता जा रहा है।
जांच एजेंसी ने संजय को अरेस्ट करने के लिए उसके रांची के अरगोड़ा (Argoda) स्थित घर पर शनिवार को छापेमारी की थी। ED की टीम लगातार संजय को रेस्ट करने की कोशिश में लगी हुई है।
अरेस्ट होने से बचने के लिए इस तरह हो गया फरार
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार संजय को 25 मार्च को रांची के PMLA कोर्ट में सरेंडर करना था। उसने इससे बचने के लिए कोविड होने की गलत जानकारी कोर्ट को दी।
इसके बाद फरार हो गया। तब ED ने संजय की गिरफ्तारी का PMLA कोर्ट से वारंट लिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पैसे जमा कराने की शर्त पर संजय को अंतरिम जमानत दी थी। इसकी अवधि 24 मार्च को खत्म हो गई। थी।
24 मार्च को छुट्टी रहने के कारण उसे 25 मार्च को सरेंडर करना
24 मार्च को छुट्टी रहने के कारण उसे 25 मार्च को सरेंडर करना था। गौरतलब है कि 16.35 करोड़ रुपये बैंक को वापस करने का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट ने 42 दिन की अंतरिम जमानत दी थी।
संजय ने असम (Assam) के डिब्रूगढ़ स्थित अपनी संपत्ति (Tea Estate) को बेचकर या गिरवी रखकर SBI की हटिया शाखा (Hatia Branch) को बकाया राशि का भुगतान करने का हवाला दिया था। यह संपत्ति भी प्रवीण नाम के दूसरे व्यक्ति के नाम पर है।