नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा पर चिंता जताई है।
कोर्ट ने कहा कि ऐसे बच्चों की संख्या काफी है।
शायद निजी स्कूल फीस माफ न करें। केंद्र और राज्यों को इनका खर्च वहन करना चाहिए।
जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र के वकील से निर्देश लेने को कहा कि क्या राज्य इस साल की फीस के लिए केंद्र से सहायता मांग सकते हैं।
सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कोर्ट को बताया कि लगभग एक लाख बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें सहायता और देखभाल की आवश्यकता है।
मार्च 2020 से आठ हजार,161 बच्चे अनाथ हुए और 92 हजार,475 ने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है।
आठ जून को कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वे यह सुनिश्चित करें कि ऐसे बच्चे, जिन्होंने कोरोना की वजह से अपने माता-पिता या किसी एक को खोया है, उनकी पढ़ाई उस स्कूल में जारी रहे, जिस स्कूल में वे पढ़ रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने जिलों के डिस्ट्रिक चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट को निर्देश दिया था कि ऐसे बच्चों को खाना, दवा, कपड़े, राशन का बंदोबस्त सुनिश्चित करें।
सात जून को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों को पीएम केयर्स फंड से आर्थिक सहायता देने की प्रक्रिया तय की जा रही है।
राज्यों से विचार-विमर्श चल रहा है। कोर्ट ने राज्य सरकारों से भी पूछा था कि उनके यहां ऐसे बच्चों की सहायता की क्या योजना है।