नई दिल्ली: कोरोना वायरस के फैलने के तरीके को लेकर केंद्र सरकार ने एक नई गाइडलाइन जारी की है।
इसमें एयरोसोल और ड्रॉपलेट्स से कोरोना वायरस फैलने की बात कही गई है।
गाइडलाइंस के मुताबिक मुंह-नाक से निकलने वाली छींटें ड्रॉपलेट्स और एयरोसोल के रूप में वायरस को एक से दूसरे व्यक्ति में फैलाने का काम करती हैं। इसकी वजह से बंद जगहों पर संक्रमण तेजी से फैल जाता है।
गाइडलाइंस मे वेंटीलेशन और खुली जगहों को खास महत्व दिया गया है।
इसमें अस्पतालों और हेल्थ सेंटर से इस बात का भी ध्यान रखने को कहा गया है इसमें एयरोसोल और ड्रॉपलेट्स से कोरोना वायरस फैलने की बात कही गई है।
बता दें कि लंबे समय से वैज्ञानिक भी इस बात का दावा करते आए हैं कि ड्रॉपलेट्स के जरिए कोरोना वायरस हवा में मौजूद रहता है जो दूसरे व्यक्तियों को भी संक्रमित कर देता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी कोरोना को रोकने में वेंटिलेशन की भूमिका अहम बताई है।
मई के शुरूआत में डब्ल्यूएचओ की तरफ से कहा गया था कि मौजूदा साक्ष्य बताते हैं कि वायरस मुख्य रूप से उन लोगों के बीच फैलता है जो एक-दूसरे के नजदीकी संपर्क में रहते हैं, खासतौर से एक मीटर या उससे भी कम की दूरी पर।
जब कोई व्यक्ति वायरस से भरे इन ड्रॉपलेट्स और एयरोसोल के संपर्क में आता है तो वो आंख, नाक और मुंह के जरिए संक्रमित हो सकता है।
यह वायरस खराब वेंटिलेटेड और भीड़भाड़ वाली बंद जगहों पर देर तक बैठने वाले लोगों में भी फैल सकता है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एयरोसोल हवा में बने रहते हैं और लंबी दूरी तक फैल जाते हैं।
केंद्र द्वारा जारी एडवाइजरी में भी कहा गया है कि एयरोसोल हवा में 10 मीटर तक की दूरी तय कर सकते हैं।