HomeUncategorizedसुप्रीम कोर्ट में 9 सितंबर को होगी Places of Worship Act पर...

सुप्रीम कोर्ट में 9 सितंबर को होगी Places of Worship Act पर सुनवाई

Published on

spot_img

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (Places of Worship Act) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 9 सितंबर को सुनवाई करेगा।

आज विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन ने चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष सुनवाई की मांग की। इसके बाद कोर्ट ने इस याचिका को भी 9 सितंबर को लिस्ट करने का आदेश दिया।

एक याचिका वकील करुणेश कुमार शुक्ला (Advocate Karunesh Kumar Shukla) ने भी दायर की है। करुणेश कुमार शुक्ला अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर में पुजारी भी रह चुके हैं।

शुक्ला कृष्ण जन्मभूमि मामले में मुख्य याचिकाकर्ता हैं और वह राम जन्मभूमि मामले में भी मुख्य भूमिका निभा चुके हैं। करुणेश शुक्ला के पहले प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को कई याचिकाकर्ताओं ने Supreme Court में चुनौती दी है।

एक याचिका 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध लड़नेवाले रिटायर्ड कर्नल अनिल कबोत्रा ने याचिका दाखिल की थी।

याचिका में कहा गया है कि यह कानून विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा अवैध तरीके से पौराणिक पूजा, तीर्थस्थलों पर कब्जा करने को कानूनी दर्जा देता है। याचिका में कहा गया है कि हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध को अपने धार्मिक स्थलों पर पूजा करने से रोकता है।

12 मार्च, 2021 को मामले में अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर नोटिस जारी हुआ

मथुरा के धर्मगुरु देवकीनंदन ठाकुर ने भी याचिका दायर कर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (Places of Worship Act) 1991 को चुनौती दी है।

26 मई को वकील रुद्र विक्रम सिंह ने भी याचिका दायर कर कहा कि 15 अगस्त 1947 की मनमानी कटऑफ तारीख तय कर अवैध निर्माण को वैधता दी गई।

Places of Worship Act  की धारा 2, 3 और 4 असंवैधानिक है। ये धाराएं संविधान की धारा 14, 15, 21, 25, 26 और 29 का उल्लंघन करती हैं। ये धाराएं धर्मनिरपेक्षता पर चोट पहुंचाती हैं।

उल्लेखनीय है कि 25 मई को वाराणसी के स्वामी जितेंद्रानंद (Swami Jitendranand) ने याचिका दायर कर इस एक्ट को चुनौती दी है। स्वामी जीतेंद्रानंद ने कहा है कि सरकार को किसी समुदाय से लगाव या द्वेष नहीं रखना चाहिए।

लेकिन उसने हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख को अपना हक मांगने से रोकने का कानून बनाया है।

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को चुनौती देने वाली एक याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने भी दायर की है। 12 मार्च, 2021 को मामले में अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर नोटिस जारी हुआ था।

एक याचिका सुब्रमण्यम स्वामी ने भी दायर की है

याचिका में कहा गया है कि 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट धार्मिक स्थलों की स्थिति 15 अगस्त 1947 वाली बनाए रखने को कहता है।

यह हिंदू , सिख , बौद्ध और जैन समुदाय को अपने पवित्र स्थलों पर पूजा करने से रोकता है। इस एक्ट में अयोध्या को छोड़कर देश मे बाकी धार्मिक स्थलों का स्वरूप वैसा ही बनाए रखने का प्रावधान है, जैसा 15 अगस्त 1947 को था।

हिंदू पुजारियों (Hindu priests) के संगठन विश्व भद्र पुजारी महासंघ ने भी इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। विश्व भद्र पुजारी महासंघ की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

विश्व भद्र पुजारी महासंघ की याचिका का विरोध करते हुए जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। एक याचिका सुब्रमण्यम स्वामी ने भी दायर की है।

spot_img

Latest articles

सहारा की ज्यादातर संपत्तियां अडानी के हवाले? सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी का इंतजार

New Delhi News: सहारा समूह का लंबे समय से अटका वित्तीय विवाद अब एक...

अगस्त 2025 में भारत के स्मार्टफोन निर्यात में 39% की उछाल

Smartphone exports jump 39%: भारत के स्मार्टफोन निर्यात ने अगस्त 2025 में शानदार प्रदर्शन...

गाजा में इजरायली हमलों में 17 फलस्तीनियों की मौत

Israeli attacks in Gaza: गाजा पट्टी में गुरुवार को इजरायली हमलों में कम से...

खबरें और भी हैं...

सहारा की ज्यादातर संपत्तियां अडानी के हवाले? सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी का इंतजार

New Delhi News: सहारा समूह का लंबे समय से अटका वित्तीय विवाद अब एक...

अगस्त 2025 में भारत के स्मार्टफोन निर्यात में 39% की उछाल

Smartphone exports jump 39%: भारत के स्मार्टफोन निर्यात ने अगस्त 2025 में शानदार प्रदर्शन...