नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर लगा प्रतिबंध हटाने से इनकार करने के कर्नाटक उच्च न्यायालय (High Court) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ‘‘इस तरह की अनुमति’’ नहीं देगी।
शीर्ष अदालत ने याचिकाओं पर कर्नाटक सरकार (Government Karnataka) को Notice जारी किया। उच्चतम न्यायालय ने पाया कि मामले में याचिकाकर्ताओं ने बार-बार जल्द सुनवाई का अनुरोध किया था और अब जब इन याचिकाओं को सूचीबद्ध किया गया है, तो स्थगन का अनुरोध करते हुए एक पत्र वितरित किया गया है।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा…
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा, ‘‘यह स्वीकार्य नहीं है। आपने पहले जल्द सुनवाई का अनुरोध किया था और अब जब इसे सूचीबद्ध कर दिया गया है तो आप इसका (स्थगन का) अनुरोध कर रहे हैं।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हम इस तरह की अनुमति नहीं देंगे। कल दलीलों के लिए आइए। हम आपको कल सुनेंगे।’’
कर्नाटक की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा कि मामले में एक पत्र वितरित किया गया है। मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘क्या मैं एक अनुरोध कर सकता हूं।
वे याचिकाकर्ता हैं। इसलिए, वितरित पत्र के मद्देनजर आप उनके खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं करने पर संभवत: विचार कर सकते हैं। क्या आप नोटिस जारी करने पर विचार कर सकते हैं?’’
उन्होंने कहा कि यदि इन याचिकाओं पर Notice जारी किया जाता है, तो कम से कम एक चरण समाप्त हो जाएगा और मामले में अगली तारीख को दलीलें सुनी जा सकती हैं।
पीठ ने याचिकाओं पर राज्य को Notice जारी किया और उन्हें पांच सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ताओं में से एक ने कहा कि ये मामले शनिवार को अचानक वाद सूची में आ गए और कुछ अधिवक्ता हैं जिन्हें कर्नाटक से शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए आना है। इस पर, पीठ ने कहा, ‘‘कर्नाटक केवल ढाई घंटे की उड़ान की दूरी पर है।’’
मेहता ने कहा कि इस मामले में कानून का सवाल शामिल है और कोई जवाब दाखिल करने की जरूरत नहीं है। जब पीठ ने मामले को पांच सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया, तो वकीलों में से एक ने अनुरोध किया कि दो सप्ताह का समय दिया जाए। इस पर,पीठ ने कहा, ‘‘सोमवार (पांच सितंबर) को आइए।’’
जब वकील ने कहा कि मामले को शीर्ष अदालत में सप्ताह के मध्य में गैर विविध दिन (मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार) पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है, तो पीठ ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह मामले को गैर-विविध दिन पर लेगी।
एक वकील ने कहा, ‘‘क्या मैं आपसे इसे दो हफ्ते बाद करने का अनुरोध कर सकता हूं। इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।’’ पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता इससे पहले तो मामले में जल्द सुनवाई का अनुरोध कर रहे थे।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि…
सॉलिसिटर जनरल (Solicitor General) ने कहा कि उनके पास सूची है और इन मामलों सूचीबद्ध करने के लिए छह बार अनुरोध किया गया था।
वकील ने कहा कि पहले सुनवाई का अनुरोध किया गया था क्योंकि उन दिनों परीक्षा होने वाली थी और अब उन्हें संक्षिप्त तैयारी करनी है। इस पर, मेहता ने पूछा, ‘‘तो, आप उन दिनों बिना तैयारी के बहस करते?’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम इस तरह की इजाजत नहीं देंगे।
उच्च न्यायालय (High Court) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं सहित कुल 24 याचिकाओं को शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) के 15 मार्च के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें कहा गया है कि हिजाब पहनना आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है जिसे संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित किया जा सकता है।
उच्च न्यायालय (High Court) ने उडुपी के ‘‘गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज’’ (“Government Pre-University Girls College”) की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें कक्षा के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था। High Court ने कहा था कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानि…