कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने बृहस्पतिवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (Marxist) के वरिष्ठ नेता थॉमस इसाक से पूछा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) को अगर किसी पर शक है तो वह उससे पूछताछ (Inquiry) क्यों नहीं कर सकती।
अदालत ने हालांकि जांच Agency को भी बताया कि किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता।
वित्तीय लेनदेन में हुई कथित गड़बड़ी
न्यायमूर्ति वी जी अरुण (Justice V G Arun) ने यह टिप्पणी इसाक की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की जिसमें उन्होंने ED की तरफ से उन्हें जारी दो सम्मन को रद्द करने का अनुरोध किया था।
ED ने पूर्ववर्ती वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) सरकार में उनके वित्त मंत्री रहने के दौरान केरल अवसंरचना निवेश निधि बोर्ड (KIIFB) में वित्तीय लेनदेन में हुई कथित गड़बड़ी के मामले में उन्हें सम्मन जारी किया था।
सुनवाई के दौरान, अदालत ने इसाक से पूछा कि अगर ED को कोई संदेह है तो वह उनसे पूछताछ (Inquiry) क्यों नहीं कर सकती और एजेंसी द्वारा क्या किसी व्यक्ति को संदिग्ध (Suspicious) के बजाए गवाह के तौर पर नहीं बुलाया जा सकता।
माकपा नेता के साथ संदिग्ध सरीखा व्यवहार
सवालों के जवाब में इसाक की तरफ से पेश हुए वकील ने अदालत को बताया कि ED को सिर्फ यह संदेह है कि क्या उनसे Inquiry होनी चाहिए और कहा कि माकपा नेता के साथ संदिग्ध सरीखा व्यवहार किया जा रहा है।
वकील ने कहा कि ED ने अपने समन में स्पष्ट नहीं किया है कि इसाक ने क्या गड़बड़ी की थी और एक नोटिस में उसने (Agency ने) उनसे सिर्फ उनके निजी मामलों के बारे में पूछा है।
विवरण मांगने का कोई अधिकार नहीं
इसाक ने अपनी याचिका (Petition) में तर्क दिया है कि सिर्फ इसलिए कि वह KIIFB के पूर्व प्रमुख और वर्तमान में इसके पदेन सदस्य हैं, Agency को उनसे पूछताछ करने या उनकी व्यक्तिगत जानकारी या विवरण मांगने का कोई अधिकार नहीं है।
उनकी दलीलों पर ध्यान देते हुए अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है और प्रवर्तन निदेशालय (ED) से पूछा कि वह किस आधार पर उनका व्यक्तिगत विवरण मांग रहा है।
यह ED का विशेषाधिकार है
एजेंसी की ओर से पेश वकील ने कहा कि जांच अधिकारी ने वो दस्तावेज मांगे जो उन्हें लगा कि जांच के लिए जरूरी है, और यह ED का विशेषाधिकार है।
उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल ED ने केवल सम्मन जारी किया है और इसाक को जांच में सहयोग करना चाहिए।
दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत ने इस मामलो को आगे विचार के लिये 17 अगस्त को सूचीबद्ध किया।