नई दिल्ली: मुख्य न्यायाधीश N V Ramana ने शनिवार को Electronic और Social Media Trial पर निशाना साधते हुए कहा कि मीडिया कई बार मुद्दों पर कंगारू कोर्ट चलाती है और यहां तक कि अनुभवी जजों को भी फैसला करना मुश्किल लगता है।
रांची में National University of Study and Research in Law द्वारा आयोजित जस्टिस एस बी सिन्हा मेमोरियल लेक्चर पर लाफ ऑफ ए जज पर उद्घाटन भाषण देते हुए मुख्य न्यायाधीश ने उचित न्यायिक बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करने की आवश्यकता, मीडिया परीक्षण द्वारा बनाई गई समस्याएं न्यायिक प्रशासन, न्यायपालिका की भविष्य की चुनौतियां और संविधान के संरक्षण में न्यायिक समीक्षा के महत्व पर जोर दिया।
Media Trial की बढ़ती संख्या की ओर इशारा करते हुए कहा- न्याय करना कोई आसान जिम्मेदारी नहीं
यह कहते हुए कि हम एक जटिल समाज (Complex society) में रह रहे हैं, रमना ने कहा कि न्यायपालिका या शासन में एक पद धारण करने वाले व्यक्ति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि महत्वपूर्ण मोड़ पर उनके निर्णय मानवता की वृद्धि और प्रगति को प्रभावित करते हैं।
Media Trial की बढ़ती संख्या की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, न्याय करना कोई आसान जिम्मेदारी नहीं है। यह हर गुजरते दिन के साथ चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।
Social Media लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रही
उन्होंने कहा, नए Media Tools में व्यापक विस्तार करने की क्षमता है, लेकिन वे सही और गलत, अच्छे और बुरे और असली और नकली के बीच अंतर करने में असमर्थ हैं। Media Trial मामलों को तय करने में एक मार्गदर्शक कारक नहीं हो सकता है।
Social Media पर दिखाई देने वाले पक्षपातपूर्ण विचारों की निंदा करते हुए उन्होंने कहा, न्याय वितरण से जुड़े मुद्दों पर Wrong Information और Agenda संचालित बहस लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रही है।
उन्होंने आगे कहा कि Media द्वारा प्रचारित पक्षपातपूर्ण विचार लोगों को प्रभावित कर रहे हैं, Democracy को कमजोर कर रहे हैं और व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
इस प्रक्रिया में, Justice Delivery पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा, अपनी जिम्मेदारी से आगे बढ़कर आप हमारे Democracy को दो कदम पीछे ले जा रहे हैं।