नई दिल्ली: आज विश्व की बात करें तो हमारा जीवन टेक्नोलॉजी पर डिपेंड है। उसमें ही एक नाम ब्लूटूथ (Bluetooth) का आता है।
जिससे आप बिना किसी वायर के फाइल का आदान प्रदान करते हैं। ब्लूटूथ काफी यूजर फ्रेंडली माना जाता है और इससे लम्बे वक़्त तक लोग डाटा ट्रांसफर करते रहे।
अगर इसके नाम पर गौर किया जाए तो हिंदी ट्रांसलेशन ‘नीला दांत’ निकलकर आता है। आइए जानते हैं कि क्या सच में इस नाम का दांत से कोई लेना देना है? अगर नहीं तो ये नाम कहां से आया और क्यों रखा गया।
Gormsson ने डेनमार्क और नॉर्वे पर शासन किया। कुछ विद्वानों का यह मत है कि राजा हेराल्ड को ब्लूटूथ कहा जाता था, क्योंकि उनके पास एक विशिष्ट मृत दांत था जो वास्तव में नीला रंग का था।
जिसके चलते उन्हें ब्लूटूथ उपनाम मिला। बता दे कि इस शासक को इतिहास में 958 में डेनमार्क और नॉर्वे को एकजुट करने के लिए भी जाना जाता है।
राजा के नाम पर ही इस टेक्नोलॉजी का नाम रखा गया। ब्लूटूथ के मालिक Jaap HeartSen, Ericsson कंपनी में Radio System का काम करते थे।
Ericsson के साथ नोकिया, इंटेल जैसी कंपनियां भी इस पर काम कर रही थी। ऐसी ही बहुत कंपनियों के साथ मिलकर एक गठन बनाया था जिसका नाम special interest group था।
कई लोगों के मन में सवाल होता है कि ब्लूटूथ के मालिक ने उस राजा के नाम पर ही क्यों इसका नाम रखा।
तो इसका जवाब है कि ब्लूटूथ इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को आपस में जोड़ने का काम करता है, वैसे ही किंग हेराल्ड ब्लूटूथ ने दो राज्यों को आपस में जोड़ा था।
इस वजह से ब्लूटूथ बनाने वाली टीम के सदस्य ने उस टेक्नोलॉजी के लिए ब्लूटूथ का नाम सुझाया। जो सबको पसंद भी आया था जिसके बाद उस टेक्नोलॉजी का नाम ब्लूटूथ रख दिया गया।