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जनता के जीवन में केंद्र का दखल, अब वोट और शादी का फैसला भी सरकार करेगी? : प्रियंका चतुर्वेदी

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नई दिल्ली: शिवसेना से राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने चुनाव कानून संशोधन विधेयक 2021 और लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाए जाने वाले प्रस्ताव को कैबिनेट से पारित किए जाने को लेकर आईएएनएस बातचीत में कहा कि क्या सरकार अब यह तय करेगी की आम जनता को शादी कब करनी है,

वोट कब देना है, बच्चे कब पैदा करना है? ये सरकार कहां तक आम जनता के जीवन में दखल रखना चाहती है ?

सवाल– आप लोग संसद के पूरे शीतकालीन सत्र में धरने पर बैठे रहे। सदन में विपक्ष की ओर से चर्चा भी नहीं की गई। आपकी क्या मांगे हैं ?

जवाब– जो सांसद प्रखरता से जनता की आवाज उठा रहे थे, उनको तो आपने (सरकार ने) निलंबित कर दिया। अब विपक्ष मांग ये कर रहा है कि एसआईटी की जो रिपोर्ट आई है, उसमें गृह राज्य मंत्री को भी दोषी बताया गया है।

सरकार को उनको निलंबित करना चाहिए। विपक्ष और किसान ये मांग कर रहे हैं, मगर वे मोदी सरकार में आज भी केंद्रीय मंत्री बने हुए हैं।

सवाल– शिवसेना और कांग्रेस के आपस में रिश्ते बेहतर होते जा रहे हैं, कई राज्यों में गठबंधन की बात चल रही है। ये बातचीत कहां तक पहुंची है? क्या आपको लगता है दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व की ओर से पूरी प्लानिंग हो चुकी है?

जवाब – यह मुद्दे पर आधारित गठबंधन है। पहले महाराष्ट्र में मुद्दों के ऊपर गठबंधन हुआ। ऐसे ही महिलाओं का मुद्दा, किसानों का मुद्दा, बेरोजगारी का मुद्दा हो या महंगाई का मुद्दा, इन सभी मुद्दों पर हम सहमत हैं तो कई और राज्यों में गठबंधन कर रहे हैं।

महाराष्ट्र के बाद शिवसेना अब गोवा और उत्तराखंड में भी कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ाई लड़ेगी और केंद्र के खिलाफ आवाज उठाएगी।

सवाल– क्या शिवसेना यूपीए में शामिल हो सकती है? क्या शिवसेना इस पर विचार कर रही है?

जवाब– इसका जवाब शीर्ष नेतृत्व दे सकता है। शीर्ष नेतृत्व को ही विचार कर यह तय करना है। लेकिन कांग्रेस-शिवसेना का मुद्दों पर आधारित गठबंधन है। और इसी तरह मुद्दों के आधार पर शिवसेना आगे भी फैसला करेगी कि पार्टी को क्या निर्णय लेना है।

सवाल– जिस तरीके से लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ाने के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लग चुकी है, अब जल्द ही कानून आने की भी सम्भावना है। क्या आप मानती हैं कि इससे महिलाओं को फायदा होगा?

जवाब– अब सरकार क्या यह निर्णय लेगी कि जनता वोट कब करे? इलेक्शन वोटर कार्ड और आधार कार्ड लिंक करके सरकार यह क्या कर रही है।

अब सरकार क्या यह निर्णय लेगी कि आप कब शादी कर सकते हैं, कब आप बच्चा पैदा कर सकते हैं? क्या सरकार ही निर्णय लेगी कि कब तक आप पढ़ाई कर सकते हैं, क्या सरकार यह निर्णय लेगी कब आप प्रेगनेंसी तय करें? कहां तक सरकार आम जनता की जिंदगी में घुसेगी? कहीं न कहीं इस कदम पर रोक लगाने की जरूरत है।

कहीं ना कहीं, जो डिसीजन मेकिंग होती है, वह सोसाइटी के माइंडसेट को चेंज करने से होती है, ग्रास रूट से होती है। और जब तक आप जनता का तो माइंडसेट नहीं बदलेंगे, तब तक केंद्र ऐसे कानून लागू नहीं कर सकती।

बाल विवाह देश में अभी भी हो रहे हैं। 1978 में इसे गैरकानूनी करार दिया गया था, लेकिन बाल विवाह अब तक हो रहे हैं। इसकी जवाबदेही सरकार को तय करनी होगी और सोसाइटी का माइंडसेट बदलने की जरूरत है। न की ऐसे कानूनों को बनाने की।

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