नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि दिल्ली के उप-राज्यपाल और मुख्यमंत्री (Lieutenant Governor and Chief Minister) के बीच दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) के अध्यक्ष पद के लिए किसी नाम पर सहमति नहीं बनी है, ऐसी स्थिति में वो तदर्थ चेयरमैन की नियुक्ति का आदेश देगा।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर अगली सुनवाई 28 जुलाई को करने का आदेश दिया।
आज सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी (Manu Singhvi) ने बताया कि कोर्ट के कहने पर हम उपराज्यपाल के पास गए।
तीन नाम दिए गए। सिंघवी ने कहा कि य़ह संवैधानिक मामला है, लिहाजा कोर्ट जितने दिन बाद चाहे इसका निपटारा करे, परन्तु नियुक्ति करने के लिए नाम तय करें।
तब कोर्ट ने कहा कि उप-राज्यपाल और मुख्यमंत्री हमें DERC के अध्यक्ष पद के लिए नाम दें, क्योंकि ये सिर्फ एक मामले का विषय नहीं है। इसका स्थाई समाधान होना चाहिए और कोर्ट इसका समाधान करे।
साल्वे ने कहा ….
उधर, उप-राज्यपाल की ओर से वकील हरीश साल्वे ने कहा कि पिछली सुनवाई में सिंघवी ने खुद कहा था कि उनके पास चार-पांच नाम हैं। अब वो कुछ और कह रहे हैं।
साल्वे ने कहा कि राष्ट्रपति ने जस्टिस उमेश कुमार की नियुक्ति की है। कोर्ट उसे अपने आदेश के जरिए चाहे तो रोक दे। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट फैसला दे।
तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इस तरह DERC के चेयरमैन नियुक्त नहीं कर सकते आखिर राष्ट्रपति ने उनको नियुक्त किया है। तब साल्वे ने कहा कि या तो कोर्ट अधिसूचना पर रोक लगाए या अंतरिम आदेश को जारी रखे।
सुप्रीम कोर्ट ने किया था नोटिस जारी
कोर्ट ने 17 जुलाई को कहा था कि दोनों संवैधानिक पदों पर बैठे हैं, लड़ाई छोड़कर राजनीति से ऊपर उठें। क्या सभी चीजें सुप्रीम कोर्ट ही तय करेगा।
इसके पहले 4 जुलाई को कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस उमेश कुमार की DERC के अध्यक्ष के तौर पर शपथ लेने पर रोक लगा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने DERC अध्यक्ष की नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र सरकार और उप-राज्यपाल (Central Government and Lieutenant Governor) को नोटिस जारी किया था।