नई दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की प्राधिकृत शाखाओं में इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री किये जाने को लेकर भारतीय मार्कसवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम) ने केंद्र पर निशाना साधा है।
सीपीआईएम ने कहा कि एसबीआई की शाखाओं में इलेक्टोरल बॉन्ड की 19वीं किश्त की बिक्री विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आयी है, जो चुनाव में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का एक जरिया है।
सीपीआईएम के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि राजनीतिक भ्रष्टाचार के इस वैधीकरण को चुनौती देने वाली याचिकाएं 3 साल से सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।
इससे ऐसा लगता है कि बीजेपी को धनबल का प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी गयी है।
हालांकि एसबीआई की शाखाओं में इलेक्टोरल बॉन्ड सभी पार्टियों के लिए खरीदे जा सकते हैं, लेकिन विपक्षी दल बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं कि इससे पार्टी को अधिक मात्रा में फंड प्राप्त होगा और यह निर्णय पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लिया गया है।
गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार ने बीते 2 जनवरी, 2018 के राजपत्र अधिसूचना संख्या 20 द्वारा इलेक्टोरल बांड स्कीम, 2018 अधिसूचित किया था।
इस स्कीम के प्रावधानों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति (राजपत्र अधिसूचना की मद सं. 2(घ) में यथा परिभाषित) इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकता है, जो भारत का नागरिक है या भारत में निगमित या स्थापित है। कोई व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकता है।
जन प्रतिनिधि अधिनियम, 1951 (1951 का 43) की धारा 29 के तहत वे पंजीकृत राजनीतिक पार्टियां, जिन्हें लोकसभा के पिछले आम चुनाव अथवा राज्य विधानसभा के चुनाव में डाले गए वोट में कम से कम एक प्रतिशत मत प्राप्त हुआ है, वे ही इलेक्टोरल बॉन्ड प्राप्त कर सकते हैं।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को, बिक्री के उन्नीसवां चरण में 1 जनवरी 2022 से 10 जनवरी 2022 तक अपनी 29 प्राधिकृत शाखाओं में इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने और भुगतान करने के लिए प्राधिकृत किया गया है।