नई दिल्ली: वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने क्रिप्टोकरेंसी की वैधता को लेकर चीजें साफ करते हुए कहा कि निजी डिजिटल मुद्रा कभी भी कानूनी मुद्रा नहीं बनेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सप्ताह संसद में पेश 2022-23 के बजट मेंक्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल संपत्तियों में लेन-देन पर होने वाले लाभ को लेकर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव किया। साथ ही एक सीमा से अधिक के लेन-देन पर एक प्रतिशत टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लगाने की भी घोषणा की।
सोमनाथन ने कहा कि जिस प्रकार सोना और हीरा मूल्यवान होने के बावजूद वैध मुद्रा नहीं है, निजी क्रिप्टोकरेंसी भी कभी वैध मुद्रा नहीं होंगी। उन्होंने कहा कि क्रिप्टो कभी भी वैध मुद्रा नहीं होगी।
कानून के हिसाब से वैध मुद्रा का मतलब है कि उसे कर्ज के निपटान में स्वीकार किया जाएगा। भारत किसी भी क्रिप्टो संपत्ति को वैध मुद्रा नहीं बनाएगा।
केवल भारतीय रिजर्व बैंक का डिजिटल रुपया ही देश में वैध मुद्रा होगा। दुनिया में केवल अल-सल्वाडोर ने ही पिछले साल सितंबर में बिटकॉइन को वैध मुद्रा के रूप में स्वीकार किया है। किसी भी अन्य देश में क्रिप्टो को वैध मुद्रा का दर्जा नहीं मिला है।
देश में क्रिप्टो मुद्रा के लिए नियम बनाने को लेकर विचार-विमर्श जारी है लेकिन अब तक कोई मसौदा जारी नहीं किया गया है। इस बीच, केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा अगले वित्त वर्ष से परिचालन में आएगी।
यह पूछे जाने पर कि संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टो संपत्ति के नियमन को लेकर विधेयक लाने की बात संसद के कामकाज में शामिल थी लेकिन मौजूदा बजट सत्र में ऐसा नहीं है, सोमनाथन ने कहा कि यह महसूस किया गया कि क्रिप्टो पर कानून लाने से पहले इस पर व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत है।
इस विचार-विमर्श का मकसद इस बात पर गौर करना है कि क्या इसके लिए नियमन की जरूरत है। वित्त सचिव ने कहा कि हमारी व्यवस्था लोकतांत्रिक है।
लोकतंत्र में सरकार कुछ शुरू करती है लेकिन फिर प्रतिक्रिया होती है। सरकार उस प्रतिक्रिया को सुन रही है और उसके आधार अभी तक अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा गया है। इस बीच चूंकि क्रिप्टो और अन्य डिजिटल संपत्तियों में लेन-देन लगातार बढ़ रहा था, अत: कर स्पष्टता की जरूरत थी।