नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में पिछले दस महीनों से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर के पेश नहीं होने पर दिल्ली पुलिस पर जुर्माना लगाया है।
चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि इस मामले में जिम्मेदार व्यक्ति की सैलरी से जुर्माने की रकम काटी जाए।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए सुनवाई टालने की मांग की। मामले में आरोप तय करने को लेकर दलीलें रखी जानी थी।
कोर्ट ने पाया कि इस मामले में पिछले 30 जनवरी से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर पेश नहीं हुए हैं। कोर्ट ने तीन हजार रुपये के जुर्माने का आदेश जारी करते हुए कहा कि जुर्माने का बोझ सार्वजनिक कोष पर नहीं हो।
इसलिए इस मामले की जांच कर जिम्मेदार व्यक्ति की सैलरी से जुर्माने की रकम काटी जाए।
कोर्ट ने जुर्माने के आदेश की प्रति उत्तर-पूर्वी दिल्ली के डीसीपी को भेजने का आदेश दिया और डीसीपी को निर्देश दिया कि वो अगली सुनवाई की तिथि को पब्लिक प्रोसिक्यूटर की उपस्थिति सुनिश्चित करें।
ज्ञातव्य है कि हाल ही में कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज वीरेंद्र भट्ट ने दिल्ली दंगों की सुनवाई के दौरान स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद के लगातार पेश नहीं होने पर चिंता व्यक्त करते हुए उत्तर-पूर्वी दिल्ली के डीसीपी से मामले को गंभीरता से लेने और स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था।