नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक ऐतिहासिक मंदिर, स्कूल और एक तालाब से 100 मीटर की दूरी पर किए गए अवैध खनन का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में एक संयुक्त समिति से जांच करने को कहा है।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि विस्फोट के कारण लगभग 200 बोरवेल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। ब्लास्टिंग में इस्तेमाल होने वाले रसायन तालाब के पानी को दूषित कर रहे हैं जिससे मछलियां और कछुए मर रहे हैं।
बताया गया कि विस्फोट से कुछ मोर की भी मौत हुई है। याचिका में कहा गया है कि विस्फोट से ग्रामीणों के घरों को भी नुकसान पहुंचा है।
न्यायमूर्ति बृजेश सेठी की पीठ ने आरोपों की गंभीरता को देखते हुए एसईआईएए, राज्य पीसीबी, भूवैज्ञानिक विभाग, वन्यजीव विभाग और जिला मजिस्ट्रेट, अरावली को शिकायत पर गौर करने का निर्देश दिया।
ग्रीन कोर्ट ने 31 जनवरी के एक आदेश में कहा कि राज्य पीसीबी समन्वय और अनुपालन के लिए नोडल एजेंसी होगी।
संयुक्त समिति चार सप्ताह के भीतर बैठक कर एक साइट का दौरा कर सकती है और आवेदक की शिकायत को देख सकती है। ट्रिब्यूनल ने निर्देश दिया कि तीन महीने के भीतर तथ्यात्मक और कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सकती है।
याचिका को 20 मई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इस आदेश की एक प्रति, शिकायत की एक प्रति के साथ, सीईएए, राज्य पीसीबी, माइंस और भूवैज्ञानिक विभाग, गुजरात राज्य, राज्य के वन्यजीव विभाग को अग्रेषित की जाए।