नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस के बूस्टर डोज की अवधि कम करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है।
चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह प्रशासनिक मामला है और कोर्ट नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती है।
दिशांक धवन में दायर याचिका में कहा था कि अपने देश में फ्रंटलाइन वर्कर्स और वरिष्ठ नागरिकों को 39 हफ्तों यानि 9 महीने के बाद बूस्टर डोज देने का प्रावधान किया गया है।
विदेशों में बूस्टर डोज देने के लिए 39 हफ्तों का अंतराल नहीं रखा जाता है। श्रीलंका में बूस्टर डोज अंतराल तीन महीने का ही है।
याचिका में मांग की गई थी कि देश में बूस्टर डोज का अंतराल नौ महीने का करने के पीछे वजह नहीं बताया गया है।
याचिका में मांग की गई थी कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को ये बताने का निर्देश दिया जाए कि बूस्टर डोज का अंतराल नौ महीने करने के पीछे वजह क्या है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि किस कानून और नोटिफिकेशन के आधार पर आपने याचिका दायर किया है।
विदेश नीति पर आम लोग चर्चा जरूर करें लेकिन खबरों के आधार पर याचिकाएं दायर नहीं की जानी चाहिए। याचिका दायर करने के लिए होमवर्क करने की जरूरत है।