नई दिल्ली: भारतीय नौसेना के लिए कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) में बनाए जा रहे चार बड़े सर्वेक्षण जहाजों में से पहला ‘संध्याक’ (यार्ड 3025) रविवार को हुगली नदी में लॉन्च किया गया।
नौसेना समुद्री परंपरा के अनुरूप रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट की पत्नी पुष्पा भट्ट ने अथर्ववेद मंत्र जाप के साथ जहाज का शुभारंभ किया। इस पोत का नाम पूर्व संध्याक श्रेणी सर्वेक्षण जहाजों के पहले जहाज से लिया गया है।
उस पोत को 44 साल पहले जीआरएसई, कोलकाता में 06 अप्रैल 1977 को लॉन्च किया गया था।
नौसेना प्रवक्ता के अनुसार रक्षा मंत्रालय और जीआरएसई के बीच 2435 करोड़ रुपये की कुल लागत से चार सर्वेक्षण जहाजों के निर्माण के अनुबंध पर 30 अक्टूबर, 18 को हस्ताक्षर किए गए थे।
इस प्रोजेक्ट का पहला सर्वेक्षण जहाज ‘संध्याक’ (यार्ड 3025) जीआरएसई ने बनाया है जबकि शेष तीन जहाजों के निर्माण की परिकल्पना मैसर्स एलएंडटी शिपबिल्डिंग, कट्टुपल्ली में की गई है।
ये जहाज मौजूदा संध्याक श्रेणी के सर्वेक्षण जहाजों की जगह लेंगे जो समुद्र विज्ञान और भूभौतिकीय डेटा एकत्र करने के लिए नई पीढ़ी के हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से लैस हैं। 110 मीटर लम्बा और 16 मीटर चौड़ा यह जहाज 3300 टन वजन ले जाने में सक्षम है।
जहाज को दो मुख्य इंजन के साथ 14 समुद्री मील की क्रूज गति और 18 समुद्री मील की अधिकतम गति के लिए डिजाइन किया गया है।
इन जहाजों का पतवार स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) द्वारा निर्मित स्वदेशी रूप से विकसित डीएमआर 249-ए स्टील से बनाया गया है।
इन सर्वेक्षण जहाजों की प्राथमिक भूमिका बंदरगाहों और बंदरगाहों का पूर्ण पैमाने पर तटीय और गहरे पानी में हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करना और नौवहन चैनलों, मार्गों का निर्धारण करना होगा।
रक्षा के साथ-साथ नागरिक अनुप्रयोगों के लिए समुद्र विज्ञान और भूभौतिकीय डेटा एकत्र करने के लिए जहाजों को भी तैनात किया जाएगा।
अपनी माध्यमिक भूमिका में ये जहाज आपात स्थिति के दौरान सीमित सुविधाओं के साथ अस्पताल जहाज के रूप में सेवा करने के अलावा, खोज और बचाव और आपदा राहत जैसी भूमिका निभाने में सक्षम होंगे।
चार बड़े सर्वेक्षण जहाजों में से पहला ‘संध्याक’ अक्टूबर, 2022 तक भारतीय नौसेना को मिलने की उम्मीद है। पहले सर्वेक्षण पोत के निर्माण में ‘मेक इन इंडिया’ दृष्टिकोण के अनुरूप ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन पर जोर दिया गया है।
सर्वे वेसल्स लार्ज में लागत के हिसाब से 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी। भारतीय नौसेना के लिए 37 युद्धपोत और पनडुब्बियां इस समय देश के विभिन्न शिपयार्ड में निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं।