बोकारो: जिले के हजारों सहायक अध्यापक (Assistant teacher) पिछले दो माह से वेतन नहीं मिलने से परेशान हैं। त्योहारी सीजन (Festive season) में भी वेतन नहीं मिलने से ऐसे शिक्षकों की मनोदशा को बखूबी समझा जा सकता है।
हैरानी की बात है कि जिले में 2002-06 तक जिन 3677 पारा शिक्षकों की बहाली हुई थी, उनमें 355 सेवानिवृत्त हो गए हैं, लेकिन हालात ये है कि अभी भी इनके सर्टिफिकेट की जांच नहीं की गई है।
इसके चलते कार्यरत 3322 सहायक अध्यापकों का दो महीने से वेतन बंद हो गया है। विभाग की ओर से इनके शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों (Academic And Academic Certificates) की जांच का काम वर्ष 2010 में शुरू किया गया। इसके लिए शिक्षकों से प्रमाण पत्रों के साथ-साथ सत्यापन खर्च का शुल्क 100 से 550 रुपए तक लिया गया।
अलग-अलग तरीके से शुल्क लेने की हुई व्यवस्था
सर्टिफिकेट जांच के लिए सबसे पहले 2010 में राशि और उसके बाद 2012 में DD के माध्यम से शुल्क ली गई। उसके बाद फिर 2016 में नकद राशि ली गई।
इस तरह पारा शिक्षकों से एक ही प्रमाण पत्र के जांच के नाम पर 3-3 बार राशि ली गई। उसके बाद भी अब तक जांच पूरी नहीं हुई। अब मात्र जिले के 59% पारा शिक्षकों (Para Teacher) के ही प्रमाण पत्रों की जांच हो सकी है।
इसकी वजह से पिछले दो महीने से उनलोगों को मिलने वाला मानदेय बंद हो गया है। जबकि इस महीने त्योहार है, इसलिए पारा शिक्षकों में काफी निराशा है।
चौथी बार दे रहे प्रमाण पत्र और जांच शुल्क
जिले में अभी भी पारा शिक्षकों से उनके प्रमाण पत्रों की छाया प्रति के साथ डीडी के माध्यम से शुल्क लेने का काम जारी है।
झारखंड अधिविद्य परिषद से मैट्रिक करने वाले के सर्टिफिकेट जांच का शुल्क 100 रुपए, जैक से इंटर करने वालों के लिए 100 रुपए, रांची विश्वविद्यालय के सर्टिफिकेट की जांच के लिए 400 रुपए, CBSE से जांच करवाने के लिए 550 रुपए, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना के सर्टिफिकेट के लिए 500 रुपए, इग्नू के सर्टिफिकेट के लिए 400 रुपए शुल्क लिए जा रहे हैं।
पारा शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच पूरी नहीं होने पर राज्य परियोजना निदेशक नाराजगी भी जताई है। उन्होंने पत्र में कहा था कि पिछले कई वर्षों में लगातार पारा शिक्षक (सहायक अध्यापक) के सर्टिफिकेट की जांच पूरी करने को कहा जा रहा है, लेकिन नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन उसके बाद भी सर्टिफिकेट की जांच का काम पूरा नहीं हो पाया है।
नियमावली बनने के बाद भी नहीं मिला लाभ
समग्र शिक्षा के तहत कार्यरत पारा शिक्षकों के लिए झारखंड सहायक अध्यापक की सेवा शर्त नियमावली 2021 को स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से स्वीकृति मिल गई है।
इससे जिले में कार्यरत 3322 पारा शिक्षकों को इसका लाभ मिलेगा। शिक्षा के सर्वव्यापी बनाने के लिए केन्द्र सरकार व राज्य सरकार की निधि से संचालित कार्यक्रम सर्व शिक्षा अभियान वर्तमान में समग्र शिक्षा के तहत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में सुधार के लिए पारा शिक्षक कार्यरत हैं। इन पारा शिक्षकों की सेवा शर्त व नियमावली नहीं पहले नहीं थी।
राज्य के 62876 सहायक अध्यापक (पारा शिक्षक) के मानदेय भुगतान के लिए समग्र शिक्षा के तहत वार्षिक प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) द्वारा स्वीकृत मानदेय राशि व वास्तविक आवश्यक राशि का अंतर राशि राज्य योजना से प्राप्त की जाएगी।
सहायक अध्यापक यानी पारा शिक्षकों का मानदेय वृद्धि 01 जनवरी 2022 से लागू होनी थी, लेकिन अब तक इस दिशा में कुछ भी निर्णय नहीं हुआ ।
एकीकृत सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा के जिला अध्यक्ष नारायण महथा ने कहा कि सर्टिफिकेट जांच के लिए हम सभी शिक्षकों ने शुल्क जमा कर दिया।
उसके बाद जांच करवाना विभाग की जिम्मेवारी है। इसके बावजूद विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यालय बोकारो के APO कुलदीपक कुमार ने बताया कि सहायक अध्यापकों (पारा शिक्षक) का सर्टिफिकेट जांच का काम पूरा नहीं हुआ है।
अब तक मात्र 59% सर्टिफिकेट काही जांच कार्य पूरा नहीं हो पाया है। जिसकी वजह से इन लोगों का मानदेय रुका हुआ है। हांलाकि आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है कि किस कारण से सहायक अध्यापकों का मानदेय स्थगित किया गया है।